Govt School#education Department – 7 हजार स्कूलों में 11वीं,12वीं में पढ़ाने के लिए अनिवार्य विषयों के व्याख्याता नहीं

शिक्षा विभाग में पिछले शिक्षा सत्र में राज्य के जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर 205 महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम की स्कूलों की शुरुआत के बाद है। साथ ही 13 सितंबर को शिक्षा ग्रुप 1 के शासन उपसचिव प्रथम ने आदेश जारी करके 348 राजकीय विद्यालयों को महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय अंग्रेज़ी माध्यम में रूपान्तरित किए जाने की स्वीकृति दी।

4 हजार स्कूल कर रहे विभाग की शर्त पूरी फिर भी पद नहीं
दूसरी तरफ सरकार खोल रही अंग्रेजी माध्यम के स्कूल लेकिन अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षक ही नहीं
अनिवार्य विषयों में लगातार पिछड़ रहे हैं अंग्रेजी विषय में छात्र
जयपुर।
शिक्षा विभाग में पिछले शिक्षा सत्र में राज्य के जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर 205 महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम की स्कूलों की शुरुआत के बाद है। साथ ही 13 सितंबर को शिक्षा ग्रुप 1 के शासन उपसचिव प्रथम ने आदेश जारी करके 348 राजकीय विद्यालयों को महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय अंग्रेज़ी माध्यम में रूपान्तरित किए जाने की स्वीकृति दी। इन सभी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई होगी। अभिभावकों का इन स्कूलों में बच्चों को प्रवेश दिलवाने के प्रति रुझान भी है। सरकार व शिक्षा विभाग इसको लेकर अपनी पीठ थपथपा रहा है, लेकिन दूसरी ओर राज्य में 2015 से चल रहे लगभग 7 हजार स्कूलों में 11वीं, 12वीं में पढ़ाने के लिए अंग्रेजी व हिंदी के व्याख्याता नहीं हैं। राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम के रामदयाल मीना प्रदेश महामंत्री ने बताया कि जिसके कारण इन स्कूलों में वरिष्ठ अध्यापक ही 11वीं एवं12वीं कक्षा में अनिवार्य हिंदी और अंग्रेजी पढ़ा रहे हैं।
राज्य के शिक्षा विभाग में अप्रैल 2015 से लागू स्टाफिंग पैटर्न में नव क्रमोन्नत उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अनिवार्य हिंदी और अंग्रेजी को छोड़कर केवल तीन ऐच्छिक विषय व्याख्याता के पद ही दिए गए हैं। इस पैटर्न में ही प्रावधान रखा गया है कि तीन वर्ष बाद कक्षा 11 व 12 में 80 छात्र होने पर अंग्रेजी,हिन्दी अनिवार्य व्याख्याता के पद दिए जाएंगे। 2015 के बाद 7 हजार से अधिक सीनियर सैकंडरी स्कूल बने हैं। इनमें से 4 हजार स्कूलों में छात्र संख्या 80 से अधिक है, लेकिन विभाग व सरकार की शर्त पूरी होने पर भी अनिवार्य अंग्रेजी,हिन्दी व्याख्याता के पद स्वीकृत नहीं कर रहे हैं। जिसका खामियाजा छात्रों को उठाना पड़ रहा है। इन स्कूलों में बिना व्याख्याता दो टेस्ट भी हों चुके है व दिसम्बर में अद्र्धवार्षिक परीक्षा होनी है।
प्रदेश में स्कूल व पदों की स्थिति
उच्च माध्यमिक विद्यालय: 11375
अनिवार्य हिन्दी के पद : 3782
अनिवार्य अंग्रेजी के पद : 3938
विषय विशेषज्ञ नहीं होने से बोर्ड परिणाम पर प्रभाव के साथ कमजोर रहती है टॉपिक पर पकड़
विषय विशेषज्ञ नहीं होने के कारण सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों की अंग्रेजी कमजोर रह जाती है। पहले ही दसवीं के बाद बहुत कम छात्र अंग्रेजी साहित्य लेते हैं। करीब दस हजार छात्रों ने इस साल इंग्लिश लिटरेचर की परीक्षा दी है। अंग्रेजी कमजोर होने के कारण 12वीं पास करने के बाद कई परीक्षाओं में उन्हें दिक्कत उठानी पड़ती है और ग्रामीण क्षेत्रों में अंग्रेजी विषय का बोर्ड परिणाम कम रहता है।
निजी स्कूल का ही रह जाता है विकल्प
दसवीं के बाद अच्छी अंग्रेजी पढऩे के लिए छात्रों के पास प्राइवेट स्कूल का विकल्प ही रह जाता है। हालांकि वहां की फीस काफी अधिक होती है। अंग्रेजी विषय लेकर बोर्ड परीक्षा देने वाले अधिकांश छात्र निजी स्कूल के ही होते हैं। विषय विशेषज्ञ बताते हैं कि 12वीं कक्षा में लेक्चरर होना ही चाहिए। इससे छात्रों की अंग्रेजी में सुधार होगा और उन्हें अवसर भी मिलेंगे।
इनका कहना है
स्टाफिंग पैटर्न सीएम,प्रशासनिक सुधार विभाग व वित्त विभाग से अनुमोदित है। नियम 6.2 के तहत अंग्रेजी व हिंदी अनिवार्य के व्याख्याता के पद स्वीकृत होने चाहिए,संघ की ओर अनिवार्य विषयों के पद स्वीकृत करने की मांग को लंबे समय से पूरा करवाने का प्रयास किया जा रहा,लेकिन सरकार इन स्कूलों में अंग्रेजी व हिंदी अनिवार्य के पद स्वकृत नहीं करके दूसरी ओर लगातार अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोल रही है जो 7 हजार स्कूलों के साथ सौतेला व्यवहार हैं इसलिए सरकार को तुरंत संज्ञान लेकर इन स्कूलों में अनिवार्य अंग्रेजी,हिन्दी व्याख्याता के पद स्वीकृत करने चाहिए जिससे छात्रों को इनका लाभ मिल सकें।