Guru Nanak Jayanti 2024: भारत – पाकिस्तान बार्डर के इस गुरुद्वारे में 68 साल सिख नही हिंदू और सिंधी हैं सेवादार

बाड़मेर: जिले में गुरु नानक देव का 555वां प्रकाश पर्व उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया. शहर के विभिन्न गुरुद्वारों में विशेष कीर्तन दीवान सजाए गए. सिख धर्म के अनुयायियों ने दिल से अपने गुरुद्वारों को सजाया. खास बात यह है कि बाड़मेर में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित एक गुरुद्वारा, जिसे सिंधी और हिंदू समुदाय के लोगों ने स्थापित किया और सेवा का केंद्र बनाया है, इस पर्व पर आस्था का अद्वितीय प्रतीक बन गया.
68 साल पुराना गुरुद्वारा: सिंधी समुदाय ने की थी स्थापनाबाड़मेर जिला मुख्यालय पर स्थित इस गुरुद्वारे की स्थापना 68 साल पहले सिंधी समुदाय ने की थी. तब क्षेत्र में केवल दो दर्जन सिंधी परिवार थे. आज इन परिवारों की संख्या सैकड़ों में है और सभी इस गुरुद्वारे में मत्था टेकने और सेवा करने आते हैं. प्रकाश पर्व के अवसर पर गुरुद्वारे में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जहां भक्ति और सेवा का अनूठा संगम देखने को मिला.
सिंधी समुदाय की आस्था: नानक नाम जहाज है गुरुद्वारे में शबद गायन कर रही मोनिका लालवानी ने बताया, यहां आकर आत्मिक शांति मिलती है. गुरु नानक देव ने जाति, वर्ग और समुदाय से ऊपर उठकर प्रेम और समानता का संदेश दिया था. उनकी शिक्षाएं हमें आज भी प्रेरित करती हैं. मोनिका बचपन से यहां शबद और कीर्तन करती हैं और सिख धर्म के प्रति गहरी आस्था रखती हैं.
सिंधी समुदाय की एक और सदस्य साक्षी ने बताया, हर कण, हर रज और हर दिशा में ईश्वर मौजूद हैं. गुरु नानक का नाम जहाज की तरह है, जो भक्तों को पार लगाता है. पूरे परिवार के साथ यहां आना हमारी परंपरा है और हम सभी इस जगह के प्रति गहरी श्रद्धा रखते हैं.
समुदाय की सेवा और गुरु नानक देव का संदेश बाड़मेर का यह गुरुद्वारा न केवल सिख धर्म के अनुयायियों बल्कि सिंधी और हिंदू समुदाय के लोगों की भी आस्था का केंद्र है. यहां गुरु नानक देव की शिक्षाओं को आत्मसात करते हुए सेवा, प्रेम और भाईचारे का उदाहरण प्रस्तुत किया जाता है. प्रकाश पर्व के इस अवसर ने एक बार फिर इस गुरुद्वारे को सामाजिक और धार्मिक सौहार्द्र का प्रतीक बना दिया.
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FIRST PUBLISHED : November 15, 2024, 16:16 IST