सेहत भी, रोजगार भी! झुलसाती गर्मी का बाप है यह मसालेदार पानी, पीते ही शरीर में चलेगी कूलिंग की ट्रेन

जमशेदपुर. जमशेदपुर का मौसम इन दिनों तेजी से बदल रहा है. तेज धूप और गर्म हवाओं ने लोगों को घर से बाहर निकलते ही ठंडी चीजों की तलाश में मजबूर कर दिया है. ऐसे में बाजारों में बिकने वाले कोल्ड ड्रिंक और पैकेज्ड पेय में पाए जाने वाले रासायनिक पदार्थ और प्रिजर्वेटिव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं, लेकिन अब शहर में एक नेचुरल और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प तेजी से लोकप्रिय हो रहा है—उत्तर प्रदेश और दिल्ली की प्रसिद्ध मसाला शिकंजी.
यह शिकंजी न केवल शरीर को ठंडक देती है, बल्कि गर्मियों में रोजगार का एक सशक्त साधन भी बन चुकी है. जमशेदपुर के साकची क्षेत्र में ‘अंकित शिकंजी’ के नाम से दुकान चलाने वाले जयप्रकाश बताते हैं कि वह पिछले 15 वर्षों से गर्मियों में शिकंजी बेचते हैं और सर्दियों में गोलगप्पे का स्टॉल लगाते हैं. उनका कहना है कि शिकंजी बनाना आसान है और इसकी मांग बहुत अधिक है.
शिकंजी की विधि बेहद सरल है—नींबू को सीधे ग्लास में निचोड़ा जाता है, फिर स्वादानुसार नमक और मसाले डाले जाते हैं. इसके बाद चिया सीड्स (गोंद कतीरा) को भिगोकर मिलाया जाता है, जो शरीर को ठंडक पहुंचाने में मदद करता है. चीनी और ठंडे पानी का मिश्रण तैयार कर उसमें बर्फ मिलाया जाता है और तैयार हो जाती है स्वादिष्ट व ताजगी से भरपूर शिकंजी, जिसकी कीमत सिर्फ ₹20 प्रति ग्लास है.
जय प्रकाश जी बताते है कि अगर कोई व्यक्ति दिनभर में 100 ग्लास शिकंजी बेचता है, तो ₹2000 की आमदनी संभव है. महीने भर में यह आंकड़ा ₹50,000 तक पहुंच सकता है. प्रारंभिक लागत भी बहुत कम होती है—एक टेबल, बर्तन, नींबू, मसाले, चीनी, चिया सीड्स और बर्फ ही इसके मुख्य घटक हैं. खास बात यह है कि यह काम न महिलाओं के लिए कठिन है, न ही युवाओं के लिए. कोई भी इसे अपने मोहल्ले, सड़क किनारे या भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में शुरू कर सकता है.
शहरवासी शंकर जी बताते हैं कि वे नियमित रूप से यह शिकंजी पीते हैं, क्योंकि यह गर्मी में राहत देती है और शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाती. उनका मानना है कि यह गर्मी में एक रामबाण उपाय है.
इस तरह मसाला शिकंजी केवल एक पेय नहीं, बल्कि एक अवसर है—सेहतमंद विकल्प का और स्वावलंबन की ओर एक कदम बढ़ाने का. जमशेदपुर जैसे शहरों में जहां गर्मी अपने चरम पर है, यह रोजगार और राहत दोनों का बेहतरीन संगम बन चुका है.