यहां रात 12 बजे नहीं… दिन में ही बन जाता है कृष्ण जन्मोत्सव, 300 सालों से चली आ रही है परंपरा

करौली: देशभर में आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. जन्माष्टमी के अवसर पर कृष्ण मंदिरों में सुबह से ही नंदलाल के जयकारे गूंज रहे हैं, और भगवान श्री कृष्ण के रात्रिकालीन जन्मोत्सव में कुछ ही घंटे शेष रह गए हैं. इसी पावन अवसर पर लोकल 18 आपको एक ऐसे अद्भुत मंदिर की कहानी बताने जा रहा है, जहां प्राचीन समय से ही जन्माष्टमी का पर्व दिन में 12:00 बजे ही परंपरा अनुसार मनाया जाता है. यह अद्वितीय मंदिर राजस्थान के करौली में स्थित है और 300 वर्ष पुराना है.इस मंदिर में भगवान श्री गोपीनाथ जी, कृष्ण स्वरूप में और उनके साथ राधा और ललिता जी विराजमान हैं.
दिन में ही कृष्ण जन्मोत्सव मनाने की इस विशेष परंपरा के कारण यह मंदिर धर्म नगरी के सभी कृष्ण मंदिरों में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है. स्थानीय लोगों का कहना है कि शायद ही ऐसा कोई अन्य कृष्ण मंदिर हो जहां दिन में जन्मोत्सव की परंपरा निभाई जाती हो. गोपीनाथ जी के इस मंदिर में जन्माष्टमी के दिन बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए उमड़ते हैं.
दिन में जन्मोत्सव की परंपराइस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में जन्माष्टमी के दिन भगवान के दिन में होने वाले जन्मोत्सव के दर्शन कर लेते हैं, वे दिन में ही अपना व्रत खोल सकते हैं.
मंदिर में साक्षात गोपीनाथ जी का विग्रहमंदिर में दर्शन करने आए स्थानीय भक्त राम शर्मा ने बताया कि 300 वर्ष से भी अधिक प्राचीन इस मंदिर में साक्षात गोपीनाथ जी का विग्रह विराजमान है. यह करौली का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां दिन में ही कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है. लंबे समय से यह परंपरा चली आ रही है, और इसी कारण से जन्माष्टमी के अवसर पर यहां बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
300 सालों से चली आ रही है परंपरामंदिर के पुजारी अजय मुखर्जी का कहना है कि दिन में ही इस मंदिर से चरणामृत लेकर बुजुर्ग और छोटे बच्चे अपना व्रत खोल सकते हैं. इसलिए वर्षों पहले इस मंदिर में बुजुर्गों और बच्चों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जन्माष्टमी पर दिन में जन्मोत्सव की परंपरा शुरू की गई थी. इस विशेष परंपरा के कारण यह मंदिर अन्य सभी कृष्ण मंदिरों से अलग पहचान रखता है, देशभर के सभी बड़े कृष्ण मंदिरों में जहां रात को 12:00 बजे जन्मोत्सव मनाने की परंपरा है, वहीं करौली के इस 300 वर्ष पुराने गोपीनाथ जी के मंदिर में दिन में ही यह उत्सव मनाया जाता है, जो इसे विशेष और अद्वितीय बनाता है.
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FIRST PUBLISHED : August 26, 2024, 15:25 IST