Rajasthan

यहां मुस्लिम परिवार भी करते हैं करवा चौथ की तैयारी, अपने हाथों से बनाते हैं पूजा के लिए ये खास चीज

करौली: भारतीय संस्कृति में सुहागन महिलाओं के सबसे बड़े पर्व करवा चौथ के त्यौहार को लेकर देशभर के बाजार करवों से सजे नजर आ रहे हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत के अवसर पर ज्यादातर सुहागन महिलाएं मिट्टी के करवे खरीदना सबसे ज्यादा पसंद करती हैं. लेकिन राजस्थान के करौली में करवे खरीदने की परंपरा बिल्कुल अलग है. यहां पर महिलाएं मिट्टी के करवे की बजाय शक्कर के करवे खरीदना सबसे ज्यादा पसंद करती हैं. यही वजह है कि करौली के बाजारों में करवा चौथ के मौके पर शक्कर के करवे बड़ी मात्रा में नजर आते हैं.

समाज में मुस्लिम कारीगरों की अहमियतसबसे खास बात यह है कि करौली में इन शक्कर के करवों को मुस्लिम कारीगर हाथों से तैयार करते हैं. यहां के कई स्थानीय मुस्लिम परिवार ऐसे हैं जिनकी कई पीढ़ियां इन शक्कर के करवों को बनाते हुए गुजर गई हैं. शुद्ध चासनी से बने इन शक्कर करवों को महिलाएं शगुन के तौर पर मिट्टी के करवों से भी ज्यादा महत्व देती हैं. करवा चौथ पर इनकी मांग इतनी जबरदस्त रहती है कि यहां के मुस्लिम कारीगर त्यौहार आने से पहले ही बड़ी मात्रा में इन करवों को बनाना शुरू कर देते हैं.

8 से 10 परिवार करते हैं करवे तैयारशक्कर के इन करवों को पीढ़ियों से बनाते आ रहे मुस्लिम कारीगर जब्बार खान बताते हैं कि शक्कर के सभी करवे यहां मुस्लिम कारीगर ही तैयार करते हैं. करीब 8 से 10 परिवार हैं, जो हर साल इन करवों को करवा चौथ के लिए हाथों से बनाते हैं. वह बताते हैं कि हिंदू महिलाएं इन्हें करवा चौथ के पर्व पर खरीदकर व्रत खोलना ज्यादा पसंद करती हैं.

तीन प्रकार के होते हैं शक्कर के करवेमुस्लिम कारीगर जब्बार खान बताते हैं कि करवा चौथ के लिए करौली में तीन प्रकार के करवे बनाए जाते हैं. इन तीनों में फर्क सिर्फ आकार, डिजाइन और रंग का होता है. इनमें एक छोटा साइज, दूसरा मीडियम और तीसरा बड़ा साइज होता है.

मिट्टी के सांचे में बनाए जाते हैं करवेकरौली में शक्कर के करवे बनाने वाले कारीगर रईस खान बताते हैं कि इसे बनाने के लिए सबसे पहले शक्कर की चासनी बनाई जाती है. फिर उसके बाद इसके लिए एक खास मिट्टी का सांचा तैयार किया जाता है, जिसमें चासनी डाली जाती है. वह बताते हैं कि काफी मेहनत के बाद यह करवा तैयार होता है और इसे बनाते समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है, क्योंकि इसका उपयोग पूजा के लिए होता है.

शक्कर के करवों की मांगकरवा चौथ के मौके पर करौली के बाजारों में ₹10 से लेकर ₹30 प्रति किलो तक बिकने वाले शक्कर के करवों की मांग सबसे ज्यादा रहती है. व्रत के लिए करौली की हर महिला शक्कर का करवा ही खरीदना पसंद करती है. इसके अलावा, इस करवे का स्वाद मीठा होने के कारण इसे शगुन के रूप में प्रसाद में भी उपयोग किया जाता है

Tags: Local18, Rajasthan news, Special Project

FIRST PUBLISHED : October 20, 2024, 13:22 IST

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