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यहां ‘जहर’ देकर होता है लोगों का इलाज, कैंसर-बांझपन से दिलाते हैं मुक्ति, कई बार तो मारे भी जाते हैं लोग!

दुनियाभर में एक से बढ़कर एक खतरनाक बीमारियां दस्तक देती रही हैं. इनमें से कुछ बीमारियों का इलाज काफी हद तक साइंटिस्ट ने ढूंढ निकाला है, तो कई बीमारियां आज भी लाइलाज हैं. यानी इन बीमारियों को ठीक करने का कोई तरीका नहीं है. वहीं, खतरनाक बीमारियों का इलाज भी काफी महंगा होता है. ऐसे में गरीब लोग आस-पास में ही झाड़-फूंक या फिर देसी इलाज से खुद को ठीक करवाने की कोशिश करते हैं. मेडिकल साइंस के तरक्की के दौर में भी इस तरह की प्रथा सालों से चली आ रही है. आज हम आपको एक ऐसी ही अजीबोगरीब इलाज पद्धति के बारे में बताने जा रहे हैं. इस पारंपरिक तरीके से कैंसर, बांझपन, डिप्रेशन, अल्‍जाइमर सहित कई अन्य बीमारियों के ठीक होने का दावा किया जाता है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर वो तरीका क्या है, जिसमें जहर दिया जाता है? ऐसे में बता दें कि इसे कंबो पद्धति यानी कंबो ट्रीटमेंट कहा जाता है.

कंबो ट्रीटमेंट उन लोगों को दिया जाता है, जो गंभीर बीमारियों या बांझपन जैसी समस्याओं से ग्रसित हैं. आमतौर पर इसे अमेजन के आसपास के देशों में इस्तेमाल किया जाता है. कैंसर से लेकर अल्जाइमर तक मरीजों को इस पद्धति के तहत मेंढक का जहर शरीर में डाल दिया जाता है. इसके लिए भी एक प्रोसेस है, जिसके तहत शुरू में मरीज को एक लीटर पानी या कसावा सूप पिलाया जाता है. इसके कुछ देर बाद धधकती हुई गर्म रॉड से कंधे, हाथ या फिर गले के पास जला दिया जाता है, जिससे फफोला पड़ जाता है. उस फफोले को इलाज करने वाला शख्स नोंच देता है. फिर जली हुई जगह पर मेंढक का जहर भर दिया जाता है. लेकिन इस जहर से आदमी की हालत पागलों की तरह हो जाती है. दरअसल, खून के जरिए मेंढक का जहर पूरे शरीर में फैल जाता है, जिससे मरीज को उल्‍टी-दस्‍त होने लगती है. बार-बार पेशाब लगना, चक्‍कर आना, हाई ब्‍लड प्रेशर और पेट में तेज दर्द होने लगता है.

आमतौर पर ऐसा 5 मिनट से 30 मिनट के लिए ही होता है, लेकिन कई लोगों पर इसका असर घंटों तक रहता है. इस दौरान लोगों को पास की नदी में लेटने को कहा जाता है ताकि शरीर ठंडा रहे. इसके बावजूद लोग दर्द से बेहाल रहते हैं. कई बार तो बेहोश तक हो जाते हैं. कुछ देर बाद शरीर से जहर को बाहर निकालने के लिए पीड़ित मरीज को पानी या चाय पिलाई जाती है. वैसे आपको बता दें कि कंबो मूल रूप से जहर है, इसलिए कुछ देशों में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया है. लेकिन अमेरिका जैसे विकसित देश में इसका चलन आज भी जारी है यानी कि कानूनी तौर पर इसका इस्तेमाल गलत नहीं है. हालांकि, फूड एंड ड्रग एडमिनिस्‍ट्रेशन ने अभी इसे रेगुलराइज नहीं किया है. लेकिन यह कितना कारगर है, इस पर अभी तक कोई शोध भी नहीं हुआ है. ऐसे में हजारों लोग आज भी इस तरीके से अपना इलाज करा रहे हैं, जिसमें कई अमीर लोग भी शुमार हैं.

इलाज के इस तरीके से मारे जा चुके हैं कई लोग!

यूं तो एक्सपर्ट कंबो ट्रीटमेंट को खतरनाक बताते हैं, लेकिन कई देशों में आज भी इसे गैरकानूनी घोषित नहीं किया गया है. इलाज के इस तरीके से कई लोग मारे जा चुके हैं. साल 2019 में नताशा लेचनर नाम की महिला की मौत कंबो ट्रीटमेंट के दौरान हो गई थी. उसकी छाती और बांह पर जलने के घावों पर कंबो (मेंढक का जहर) लगाने के बाद कार्डियक अरेस्ट उसकी मौत हो गई. साल 2021 में जैरेड एंटोनोविक की मौत भी इसी इलाज की वजह से हुई. 2018 में इटली में एक शख्स मर गया, तो चिली में 2009 में एक व्यक्ति की मौत इस ट्रीटमेंट से हुई थी. बता दें कि कंबो ट्रीटमेंट के समर्थकों का दावा है कि यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकाल सकता है, मानसिक स्पष्टता ला सकता है और विभिन्न बीमारियों का इलाज कर सकता है. हालांकि, इसको लेकर आज तक कोई शोध नहीं हुआ है.

Tags: Khabre jara hatke, OMG News, Shocking news, Weird news

FIRST PUBLISHED : November 13, 2024, 08:56 IST

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