हैरिटेज नगर निगम: किशनपोल जोन अवैध निर्माण में दोगला रवैया, एक तरफ कयामत-दूसरी तरफ इनायत
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निराला समाज टीम जयपुर।
हैरिटेज नगर निगम में पिछले दिनों किशनपोल जोन की कार्यशैली को लेकर पार्षद कुसूम यादव सहित कई पार्षदों ने हैरिटेज मुख्यालय पर प्रदर्शन किया था। हैरिटेज निगम आयुक्त और स्मार्ट सिटी के सीईओ अभिषेक सुराणा ने पार्षदों को आश्वस्त किया था कि शहर में अवैध निर्माण और अतिक्रमण किसी भी हद पर प्रभाव लिए हुए हो बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। जोन स्तर पर जो कार्यवाही हुई वह एक तरफ इनायत दूसरी तरफ कयामत साबित होते हुए दौगलेपन की परिभाषा दशार्ती नजर आई। अब सोचनीय विषय यह है कि नगर निगम हैरिटेज की साख को दांव पर कोन लगा रहा है?
किशनपोल जोन के ऐसे होते हैं कयामत के रंग
शहर में हैरिटेज बॉयलाज को धत्ता बताते हुए निराला समाज ने शहर में हो रहे अवैध निर्माणों और अतिक्रमण पर किशनपोल,आमेर-हवामहल,आदर्श नगर जोन ने कार्यवाही भी की लेकिन यह कार्यवाही महज गीले आंगन में पोछा लगाने तक ही सीमित रही।
इनायत ही इनायत किशनपोल जोन
किशनपोल जोन कार्यालय की बात करे तो इसने जो कार्यवाई की ,उसमें निस्पक्ष कार्यवाई की जगह उपायुक्त सहित जोन कार्यालय में भवन निर्माण शाखा से जुड़े कर्मचारियों और अधिकारियों की झलक लोगों को ” मेरी मर्जी “ अंदाज में नजर आई।
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पिछले दिनों निराला समाज की खबर का असर दिखाते हुए किशनपोल जोन कार्यालय ने सौथली वालो का रास्ता,बारह गणगोर का चौराहा,वार्ड-73 में कार्यवाई करते हुए भवन संख्या 1504 को सीज किया लेकिन इसी के सामने भवन संख्या 1839 को नगर निगम किशनपोल जोन ने नजर अंदाज कर दिया,जबकि कार्यवाई के दौरान किशनपोल जोन उपायुक्त सहित निगम टीम और सतर्कता दस्ता कार्यवाही स्थल पर मौजूद था लेकिन दूसरा अवैध निर्माण जिसमें करीब दो दर्जन से ज्यादा दुकाने और निर्मित हुए है बिना किसी पार्किंग के। भवन संख्या 1839 पर बख्शी गई इनायत और 1504 पर ढइाई गई कयामत का ही परिणाम है कि पार्षदों ने निगम मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन करते हुए आयुक्त अभिषेक सुराणा का ध्यान इस और आकर्षित किया। जिसे लेकर आयुक्त से सकारात्मक आश्वासन मिलने के बाद पार्षदों का मामला शांत हुआ लेकिन नगर निगम जोन अपनी चाल को सकारात्मक रास्ते पर लाने में अब भी नकारा साबित हो रहा है और इनायत ओर कयामत का खेल बदस्तुर जारी है।
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कयामत और इनायत का एक नजारा
उदाहरण बताैर इसी सौथलीं वालों का रास्ता में रातोंरात सरकारी जमीन पर कब्जा करवाते हुए किशनपोल जोन ने दुकान बनवाकर शटर भी लगवा दिया। पहले दिन इस जगह पर्दा लगाकर कार्य किया गया,दूसरे दिन जब निगम ने कयामत भरी आंख दिखाई तो तयपाई के साथ ही निगम की आख इनायत भरी हो गई । परिणाम हैरिटेज आयुक्त के आदेश और हिदायतों को धत्ता बताते हुए किशनपोल जो ने धडल्ले से अवैध निर्माण करवाने की ईजाजत अपरोक्ष रूप से दे दी। जबकि पिछले दिनों धुला हाउस और इंदिरा बाजार में दुकानों को सीज किया गया लेकिन किन कारणों से सीज किया गया यह लोग आज तक नहीं समझ सकें।
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अब शहर के तंग रास्तों और सकड़ी गली में इनायत और कयामत की नजर से हो रहे अवैध निर्माणों से मूल स्वरूप के साथ तो खिलवाड हो ही रहा है। लेकिन मूल भूत आवश्यकताओं में समझे जाने वाली हवा-पानी से भी शहर के बाशिन्दों को महरूम किया जा रहा है साथ ही पार्किंग की समस्या इस कदर दीमक बनकर शहर को चाट रही है कि आपातकालीन सेवाओं की बात आए तो शहर का बाशिन्दा सपने में भी नहीं सोच सकता कि समय पर ये सेवाएं उसे उपलब्ध हो जाएंगी।
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अब जब अवैध निर्माण को हैरिटेज बायलाज काे नजर अंदाज करके प्रोत्साहित किया जा रहा है तो कुछ सीज की कार्यवाई ऐसी भी है जिसे देखे तो समझ ही नहीं आता लोगों को कि क्यों सीज की गई है। एक दुकान मंदिर में बनी हुई सीज कर दी गई। अब सवाल यह है कि क्या मंदिर में दुकाने नहीं है अब तक,अगर नहीं तो लाल जी सांड का रास्ता में जाकर देख ले। इंदिरा बाजार में एक दुकान सीज की गई लेकिन क्यों? अगर किशनपोल जोन इतना ही पारदर्शिता बरत रहा है तो फिर अवैध निर्माणों पर इनायत किस बात की?