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Heritage nagar nigam mayor news vidhansabha election update | विधानसभा चुनाव परिणाम तय करेंगे हैरिटेज सरकार का भविष्य

दो माह से कुर्सी खाली, कौन बैठेगा कुर्सी पर ये भी तय नहीं,महापौर के न होने से सभी अधिकार आयुक्त के पास, कांग्रेस की सरकार बनी तब भी आसान नहीं होगी मुनेश की राह, भाजपा आयी तो बोर्ड पर संकट आना तय

हैरिटेज नगर निगम के सियासी समीकरण विधानसभा चुनाव के बाद बदलने की संभावना है। दो माह से अधिक का समय हो चुका, हैरिटेज नगर निगम की सत्ता बिना महापौर के चल रही है। इस कुर्सी पर कौन बैठेगा इसका फैसला विधानसभा चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे। क्योंकि 22 सितम्बर को महापौर पद से राज्य सरकार मुनेश गुर्जर को निलम्बित कर चुकी है। उन्हें कोर्ट से उम्मीद है। इस बीच सभी काम आयुक्त कार्यालय से ही चल रहे हैं और महापौर कार्यालय पर ताला लटका हुआ है।

ये समीकरण बनने की संभावना
कांग्रेस आयी तो:
पूर्व मंत्री महेश जोशी का मुनेश को लगातार समर्थन मिल रहा था। उनकी टिकट कटने के बाद वे अब चुप हैं और वे सीधे तौर पर मुनेश की पैरवी करने से बचेंगे। वहीं, विधायक रफीक खान, अमीन कागजी और प्रताप सिंह मुस्लिम चेहरे की वकालत लगातार करते रहे हैं।

भाजपा आयी तो: यदि राज्य में भाजपा की सरकार बनती है तो बोर्ड पर संकट आना तय है और भाजपा अपना महापौर बनाने की जुगत में लगेगी। क्योंकि स्पष्ट बहुमत कांग्रेस के पास भी नहीं है और दल बदल कानून भी निगम में लागू नहीं होता। समितियों का गठन नहीं होने से कांग्रेस और निर्दलीय पार्षदों ने नाराजगी है और इसी का फायदा भाजपा उठाने की कोशिश करेगी।

सियासी समर में फंसी रही महापौर की कुर्सी
हैरिटेज निगम में भले ही कांग्रेस ने सरकार बनाई हो, लेकिन महापौर की कुर्सी हमेशा ही सियासी समर में फंसी रही। कभी विधायक अपने महापौर के खिलाफ मुखर हुए तो कभी पार्षदों ने विरोध किया। रही सही कसर चार अगस्त को एसीबी की कार्रवाई ने पूरी कर दी। एसीबी की कार्रवाई के बाद पांच अगस्त को राज्य सरकार ने मुनेश को महापौर और पार्षद पद से कर निलम्बित कर दिया। 23 अगस्त को मुनेश गुर्जर को कोर्ट से राहत मिली और राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगा दी और मुनेश महापौर की कुर्सी पर बैठ गईं। एक सितम्बर को राज्य सरकार ने मुनेश गुर्जर को निलम्बित करने का फैसला वापस ले लिया और 22 सितम्बर को फिर निलम्बित कर दिया।

लाटा ने महापौर बन चौंकाया था
जनवरी, 2019 में विष्णु लाटा ने भाजपा से बगावत कर चुनाव लड़ा और कांग्रेस के सहयोग से महापौर बन गए। 90 सदस्य वाले बोर्ड में भाजपा के 63 पार्षद थे। लेकिन, भाजपा प्रत्याशी मनोज भारद्वाज को खाते में 44 वोट ही रह गए। जबकि, लाटा 45 वोट लेकर चुनाव जीत गए। एक वोट कैंसिल हुआ।

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