Hog deer are found only in keoladev national park
रिपोर्ट-ललितेश कुशवाहा
भरतपुर. राजस्थान के भरतपुर में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) विश्व विख्यात है. इस उद्यान में 350 से अधिक देशी विदेशी पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है. इसलिए इसे पक्षियों का स्वर्ग कहा जाता है. सदियों के मौसम में प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा रहने के साथ साथ पर्यटक भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. पक्षियों के अलावा यहां अन्य जानवर भी निवास करते हैं. उन्हीं में से एक हॉग हिरण है. जो हिमालय के तराई क्षेत्र और पूर्वी भारत के साथ पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश ,भूटान आदि क्षेत्रों में पाया जाता है . बात राजस्थान की करें, तो यह हॉग हिरण सिर्फ केवलादेव राष्ट्रीय उधान में ही पाया जाता है. हालांकि जानकारी के मुताबिक इसकी प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर पहुंच रही है.अगर इसकी प्रजाति को जीवंत रखना है, तो इसकी देखभाल करना बेहद जरुरी है.
इस उधान में इतनी है हॉग हिरणों की संख्या
डीएफओ नाहर सिंह सिनसिनवार ने बताया कि हॉग हिरण राजस्थान में मात्र भरतपुर के इसी उधान में पाया जाता है. इस उधान में 2008 से पहले इनकी अच्छी संख्या थी. लेकिन इसके बाद इनकी संख्या में कमी देखी गई. अब इस उधान में 7-8 हॉग हिरण ही बचे है. उन्होंने कहा कि इनकी प्रजाति को बचाने के लिए इसे सूचीबद्ध करके विशेष रूप से इसकी देखभाल पर जोर देना चाहिए. जिन क्षेत्रों में इनकी की संख्या बड़ी मात्रा में पाई जाती थी वहां भी धीरे-धीरे कम होने के कगार पर पहुंच चुकी है.
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हॉग हिरण की विशेषता
हॉग हिरण का आकार छोटा ने के साथ साथ लंबाई तीन फीट तक होती है. नर के सींग और मादा बिना सींगो वाली होती है. इसका वजन 35 से 45 किलो तक होता है. यह 15 से 18 साल तक जीवित रहता है. इस हिरण को घास खाना और घास में रहना बेहद पसंद है. यह रुकने की बजाए दौड़ता रहता है और लगातार दौड़ने की वजह से इसका नाम हॉग डियर पड़ा है. इस उधान में पक्षियों और अजगरो के साथ हॉग हिरण आकर्षण का केंद्र है.
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Tags: Bharatpur News, Rajasthan news
FIRST PUBLISHED : February 26, 2023, 10:51 IST