Rajasthan

ईसबगोल की खेती नागौर में कैसे करें: बुवाई, किस्में और उत्पादन टिप्स.

नागौर. रबी सीजन की ईसबगोल प्रमुख नकदी फसल है और इसकी खेती नागौर में बड़ी मात्रा में होती है. पूरे देश में नागौरी ईसबगोल की डिमांड रहती है. फिलहाल, इसकी बुवाई का समय नजदीक आ गया है, एग्रीकल्चर एक्सपर्ट बजरंग सिंह ने बताया कि इस फसल की बुवाई तभी करनी चाहिए, जब तापमान लगभग 25 डिग्री सेल्सियस के आसपास हो. यदि अधिक तापमान में बुवाई की जाए, तो अंकुरण प्रभावित होता है और फसल की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है, इसलिए किसान बीज, उर्वरक और रसायन की तैयारी पहले से कर लें, ताकि मौसम अनुकूल होते ही बुवाई शुरू की जा सके.

एग्रीकल्चर एक्सपर्ट के अनुसार, ईसबगोल की बुवाई के लिए मध्यम से हल्की दोमट भूमि सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जिसमें जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो. जलभराव वाली भूमि में इस फसल की खेती सफल नहीं होती। किसान बुवाई से पहले खेत की दो से तीन बार जुताई करें और पाटा चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें. इसके बाद खेत को समतल करें, ताकि सिंचाई और जल निकासी दोनों आसानी से हो सकें.

बीजोपचार का महत्वएग्रीकल्चर एक्सपर्ट बजरंग सिंह के अनुसार, एक हैक्टेयर में पांच किलो ईसबगोल का बीज पर्याप्त होता है. बीज की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए और बुवाई से पहले बीजोपचार जरूर किया जाना चाहिए ताकि फफूंदजनित रोगों से फसल सुरक्षित रह सके. इसके लिए 2 ग्राम थायरम या 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचार करना लाभकारी रहेगा.

प्रमुख किस्मेंईसबगोल की प्रमुख और उन्नत किस्मों में जी.आई-2, आर.आई-1 और आर.आई-89 को सबसे ज्यादा उत्पादन वाली मानी जाती है. इन किस्मों की पैदावार अधिक होती है और यह रोग प्रतिरोधक भी हैं. बुवाई के लिए कतार से कतार की दूरी लगभग 30 सेंटीमीटर रखनी चाहिए, और बीज को आधा सेंटीमीटर से अधिक गहराई पर न बोएं, क्योंकि ईसबगोल के बीज बहुत हल्के होते हैं और गहराई में जाने पर अंकुरण कम हो जाता है.

सिंचाई और खरपतवार नियंत्रणखेत की पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद हल्की करें और इसके बाद आवश्यकता अनुसार नमी बनाए रखें. फूल आने और दाने बनने के दौरान नमी का संतुलन बहुत जरूरी है. खेत में खरपतवार नियंत्रण पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि शुरुआती अवस्था में खरपतवार ईसबगोल की बढ़वार को प्रभावित करते हैं. किसानों को इस फसल पर घातक कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि ईसबगोल का उपयोग औषधीय रूप से किया जाता है. रसायनों का अधिक प्रयोग उत्पाद की गुणवत्ता को घटा सकता है और बाजार मूल्य पर भी असर डालता है.

वैज्ञानिक विधि से उत्पादनफसल की कटाई तब करें जब बालियां पूरी तरह सूख जाएं और बीज सफेद रंग के हो जाएं. इसके बाद मड़ाई करके साफ और सूखे बीज को सुरक्षित स्थान पर भंडारित करें. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट बजरंग सिंह के अनुसार, उचित तापमान, सही बीज और वैज्ञानिक विधि से की गई खेती से किसान प्रति हैक्टेयर 12 से 15 क्विंटल तक ईसबगोल का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी होती है.

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj