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Ukraine raises defence budget to wartime record in 2025 parliament budget focus on military spending Fighting russia vladimir putin|जंग में कितनी बर्बादी! यूक्रेन का बजट देखकर आप भी समझ जाएंगे, पाकिस्तान से सीजफायर का भी मिलेगा जवाब

इसी साल मई महीने में जब भारत और पाकिस्तान की जंग जब सीजफायर पर खत्म हुई थी तो देश के ही कई महानुभावों ने सवाल किया था कि ‘जंग क्यों रखनी चाहिए’ थी। उन लोगों को और कुछ नहीं सिर्फ रूस और यूक्रेन के हालात देख लेने चाहिए। लाशों और मलबे के बढ़ते ढेर के बीच चार सालों से दोनों देशों की जंग जारी है। युद्ध किस तरह एक देश को तोड़कर रख देता है, इसका सीधा उदाहरण यूक्रेन है। जेलेंस्की के देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह हिल गई है लेकिन फिर भी मजबूरी ऐसी है कि इस देश को अपने रक्षा बजट में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी करनी पड़ी है।

चीखों को इग्नोर करने की मजबूरी
जिस देश में लोग भूख, प्यास से तड़प रहे हैं, जिंदा रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहां पर अब कुल रक्षा खर्च 2.96 ट्रिलियन ह्रिव्निया (करीब 70.86 अरब डॉलर) तक पहुंच गया है।

यूक्रेनी संसद ने मंगलवार को देश के वार्षिक बजट में संशोधन को मंजूरी दी, जिसके तहत रक्षा बजट में लगभग 325 अरब ह्रिव्निया (करीब 7.7 अरब डॉलर) की और वृद्धि की गई है। यूक्रेन अपने कुल बजट का करीब 76% सिर्फ युद्ध और रक्षा पर खर्च कर रहा है। यूक्रेन का कुल बजट (2025) लगभग 3.9 ट्रिलियन ह्रिव्निया यानी लगभग 93 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर है लेकिन रक्षा खर्च अकेले 2.96 ट्रिलियन ह्रिव्निया (करीब 70.8 अरब डॉलर) है। ये रकम यूक्रेन के कुल बजट का सबसे बड़ा हिस्सा है और बताती है कि जंग ने देश की प्राथमिकताओं को किस तरह बदल दिया है।

यूक्रेन के वित्त मंत्री सेरही मार्चेंको ने कहा, “स्थिति लगातार बदल रही है। आक्रामकता का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए खर्च बढ़ाना मजबूरी है, यह हमारा चुनाव नहीं बल्कि आवश्यकता है।” उन्होंने कहा कि सरकार को अपने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से जो सहयोग मिल रहा है, उससे देश के रक्षकों के लिए अतिरिक्त खर्च का इंतजाम किया जा सकेगा।

दूसरी बार बढ़ाना पड़ा रक्षा बजट

यह इस साल का दूसरा मौका है जब यूक्रेन को अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी करनी पड़ी है। इससे पहले जुलाई में संसद ने लगभग 412 अरब ह्रिव्निया (करीब 9.8 अरब डॉलर) की वृद्धि को मंजूरी दी थी। उस वक्त कुल रक्षा बजट लगभग 2.2 ट्रिलियन ह्रिव्निया तय किया गया था, लेकिन अब हालात इस कदर बदल चुके हैं कि खर्च लगभग 3 ट्रिलियन ह्रिव्निया के करीब पहुंच गया है।

रूस के साथ युद्ध अब 1,200 किलोमीटर लंबी फ्रंटलाइन पर चल रहा है। लगातार बमबारी, ड्रोन अटैक और जमीनी संघर्ष के कारण गोला-बारूद, हथियार और सैनिकों की जरूरतें लगातार बढ़ रही हैं। यूक्रेन को अब बड़ी और बेहतर हथियारों से लैस रूसी सेना का सामना करना पड़ रहा है, और इसके लिए हर महीने अरबों डॉलर झोंकने पड़ रहे हैं।

रूस के पैसों से यूक्रेन की जंग

दिलचस्प बात यह है कि इस अतिरिक्त खर्च का एक हिस्सा जी-7 देशों द्वारा दिए गए लोन से पूरा किया जाएगा और यह पैसा उन रूसी संपत्तियों के ब्याज से आएगा, जो पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाकर फ्रीज कर दी हैं।

यूक्रेन की प्रधानमंत्री यूलिया स्विरीदेंको ने कहा, “सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रूस की जमी हुई संपत्तियों से मिलने वाले ब्याज को अब रक्षा पर खर्च किया जाएगा। यह पूरी तरह न्यायसंगत है कि रूसी संपत्तियों का इस्तेमाल यूक्रेनी सेना को मजबूत करने में हो।”

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, यूक्रेन को इस साल अब तक जी-7 देशों से 28 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता मिल चुकी है। कुल मिलाकर, फरवरी 2022 में रूस के हमले के बाद से अब तक यूक्रेन को करीब 152 अरब डॉलर की विदेशी मदद मिल चुकी है।

आधी से ज्यादा आमदनी सिर्फ जंग पर खर्च

यूक्रेन के वित्त मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, इस साल के पहले नौ महीनों में सरकार ने अपनी कुल कमाई का 63% हिस्सा सिर्फ सेना और रक्षा पर खर्च किया। यानी, हर 100 डॉलर में से 63 डॉलर सिर्फ हथियार, गोला-बारूद और युद्ध संचालन पर खर्च हो रहे हैं।

देश की अर्थव्यवस्था इस कदर युद्धग्रस्त है कि सामाजिक, स्वास्थ्य और मानवीय कार्यक्रमों का खर्च अब पश्चिमी देशों की वित्तीय मदद से पूरा किया जा रहा है। घरेलू कर राजस्व का लगभग पूरा हिस्सा युद्ध में झोंक दिया गया है।

रूस के हमले ने यूक्रेन के शहरों, पुलों और बिजलीघरों को तबाह कर दिया है। लाखों लोग देश छोड़ चुके हैं, हजारों की मौत हो चुकी है और लाखों अब भी विस्थापित हैं। राजधानी कीव से लेकर खारकीव और डोनबास तक युद्ध के निशान हर जगह हैं।

पाकिस्तान से भी मिलेगा जवाब

यूक्रेन का नया रक्षा बजट सिर्फ रूस को नहीं, बल्कि दुनिया को एक और संदेश देता है कि जो देश जंग या सीजफायर के बहाने अपनी सुरक्षा से समझौता करते हैं, उन्हें आने वाली पीढ़ियां माफ नहीं करतीं।

हाल में पाकिस्तान ने भारत के साथ “सीजफायर” पर चर्चा के संकेत दिए हैं, लेकिन यूक्रेन का अनुभव बताता है कि शांति का नाम लेकर दुश्मन की चालों पर भरोसा करना कितना महंगा साबित हो सकता है। यूक्रेन ने 2014 के बाद रूस के साथ कई बार शांति समझौते किए, लेकिन हर बार नतीजा एक नए हमले के रूप में निकला।

आज वही यूक्रेन मजबूरी में अपनी आधी से ज्यादा कमाई जंग में खर्च कर रहा है। यह स्थिति बताती है कि सुरक्षा के मोर्चे पर लापरवाही किसी देश को कितनी भारी पड़ सकती है।

‘युद्ध सिर्फ मोर्चे पर नहीं, अर्थव्यवस्था में भी चल रहा है’

यूक्रेन के एक वरिष्ठ सांसद ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “अब हमारी लड़ाई सिर्फ मोर्चे पर नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था में भी चल रही है। रूस हथियारों से लड़ रहा है, हम बजट और कर्ज से लड़ रहे हैं।”यह बयान यूक्रेन की स्थिति को बखूबी बयां करता है — जहां हर हथियार की कीमत अरबों डॉलर है, और हर गोला-बारूद विदेशी मदद से खरीदा जा रहा है।

यूक्रेन ने साफ कर दिया है कि चाहे युद्ध कितने भी साल चले, देश झुकेगा नहीं। लेकिन यह भी सच्चाई है कि इस जंग ने यूक्रेन की वित्तीय और सामाजिक रीढ़ को हिला दिया है।

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