Humor In ‘Phirne Waliaan’, Tragedy Of Partition Staged In ‘Toba Tek Si – ‘फिरने वालियां’ में हास्य, ‘टोबा टेक सिंह’ में मंचित हुई विभाजन की त्रासदी

‘रंग आगाज़ 3 महोत्सव’ का समापन

‘रंग आगाज़ 3 महोत्सव’ के आखिरी दिन बुधवार को दो नाटकों को मंचन हुआ। एक हास्य था तो दूसरा विभाजन की त्रासदी पर आधारित। नाटक ‘फिरने वालियां’ के लेखक थे प्रदेश के जाने माने लेखक चरण सिंह पथिक, जिनकी लेखनी को नाट्य रूपांतरित युवा रंगकर्मी लोकेश राज ने किया, अभिषेक मुद्गल इस नाटक के निर्माता थे। नाटक में दर्शाया गया कि मौत पर व्यक्ति को केवल नकारात्मक ही नहीं सोचना चाहिए। इसकी कहानी उन लोगों पर आधारित है जो किसी के गुजर जाने पर उनके गांव या घर फिरने जाते हैं। इस कहानी में बताया कि किस प्रकार रोने जाने के लिए भी कई प्रकार के जतन करने होते हैं। इसमें अमित डागर, आयुष दाधीच, लोकेश राज, जेनीस हाश्मी, भार्गवी नरूका, कुलेंद्र मिश्र, साहिल टिंडवानी, सुंधाशु शुक्ला ने अभिनय किया।
वहीं दूसरा नाटक ‘टोबा टेक सिंह’ कहानी का नाट्य मंचन हुआ। इस कहानी के लेखक सहादत हसन मंटो हैं। नाटक को सुनीता तिवारी नागपाल ने निर्देशित किया। नाटक में देश के 1947 में हुए विभाजन की त्रासदी को दर्शाया गया। जिसे देख दर्शकों की आंखें नम हो गई। एकल अभिनेता हेमंत गौतम ने ही इसमें अभिनय किया।