शादी के लिए ढूंढ रहे हैं बैंक्वेट, कहीं कर न दें ये बड़ी गतली, इग्नोर करने पर लग सकती है लाखों की चपत
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शादियों और बड़े कार्यक्रमों के लिए वेडिंग प्लानर और इवेंट मैनेजमेंट फर्म की सेवाएं लेना आजकल बहुत आम हो गया है. ये फर्म काम को आसान बनाने में मदद करते हैं, जिससे आप तनावमुक्त हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में ये ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी भी कर सकते हैं. ऐसा ही एक मामला राजस्थान से सामने आया है. राजधानी जयपुर में वेडिंग इंडस्ट्री से जुड़ी कई फर्मों और कंपनियों के तकरीबन 24 ठिकानों पर इनकम टैक्स ने शिकंजा कसा है. इनकम टैक्स विभाग को करोड़ों रुपये के टैक्स हेरफेर की आशंका है, जिस वजह से यह सर्च ऑपरेशन जारी है.
दरअसल, वेडिंग प्लानिंग और शादी समारोहों में भी बुकिंग का तरीका प्रॉपर्टी खरीदने जैसा ही है. इसमें रुपयों की अदायगी दो हिस्सों में होती है. 40 से 50 फीसदी हिस्सा बिलिंग के जरिए जबकि 50 से 60 फीसदी रकम कैश में अदा की जाती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बैंक्वेट हॉल और वेडिंग डेस्टिनेशन पर 18 फीसदी जीएसटी लगती है. ऐसे में ग्राहक जीएसटी बचाने के चक्कर में कैश देते हैं और कारोबारी अपना इनकम टैक्स बचा लेते हैं.
इनकम टैक्स विभाग ने शहर में टेंट-ईवेंट कारोबारियों के दफ्तरों और आवासों यानी 24 से ज्यादा ठिकानों पर सर्च की कार्रवाई की है. इसमें कई बड़े कारोबारी जैसे तालुका टैंट हाउस, वेडिंग प्लानर गुंजन सिंघल, भावना चारण, इंडियन वेडिंग प्लानर, जे ऑबेरॉय केटरर्स, माय बगिया, मेपसोर कंपनियां शामिल हैं. इन सभी के सी-स्कीम, बनीपार्क, श्याम नगर, टोंक रोड, सिविल लाइन्स, दुर्गापुरा, कूकस जैसे इलाकों में छापे की कार्रवाई हुई है. कूकस में लग्जरी वेडिंग डेस्टिनेशन ‘द गुलमोहर’ पर भी कार्रवाई की गई है. इसका एक दिन का किराया ही मिनिमम 8 से 10 लाख रुपए है.
कई बार ये फर्म सेवाओं की असली कीमत से ज्यादा चार्ज करती हैं. जैसे, फूलों की सजावट या कैटरिंग के लिए ज्यादा कीमत बताई जाती है, जबकि इसकी असली लागत काफी कम होती है. कुछ फर्म अच्छे सामान और सेवाओं का वादा करती हैं, लेकिन असल में घटिया क्वालिटी का सामान यूज कर कस्टमर को बेवकूफ बना लेती हैं. शुरूआती बातचीत के समय कुछ शुल्कों का जिक्र नहीं किया जाता, लेकिन बाद में उन्हें जोड़कर कुल लागत बढ़ा दी जाती है. इससे ग्राहक को आर्थिक नुकसान होता है. वहीं, कुछ प्लानर नकली वेंडर के साथ मिलकर काम करते हैं और शुरूआती भुगतान किया गया पैसा लेकर गायब हो जाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 20, 2024, 12:14 IST