कपास की फसल में गुलाबी सुंडी रोग से हैं परेशान तो ऐसे करें बचाव…जानें एक्सपर्ट की जुबानी-If you are troubled by pink bollworm disease in cotton crop, then take preventive measures like this… Know from the expert

भीलवाड़ा : कपड़ा नगरी के रूप में विख्यात भीलवाड़ा जहां पूरे देश प्रदेश में अपने वस्त्र उद्योग को लेकर मशहूर है तो वहीं खेती की बात की जाए तो भीलवाड़ा कपास की खेती में भी सबसे आगे है. भीलवाड़ा में सबसे ज्यादा कपास की खेती किसानों द्वारा की जाती है, जिसका रकबा लगभग 40 से 50 हजार हेक्टेयर है. ऐसे में अगर आप भी कपास की खेती कर रहे हैं और आपको गुलाबी सुंडी रोग लगने का डर सता रहा है तो यह तरीका आपके काम आ सकता है. इस तरह से आप गुलाबी सुंडी की पहचान कर सकते हैं.
उपनिदेशक कृषि एवं परियोजना निदेशक आत्मा डॉ. शंकर सिंह राठौड़ ने कहा भीलवाड़ा जिला शुरू से ही कपास की खेती में अग्रणी रहा है और यहां पर काफी कॉटन मिल्स भी है. किसान हर साल 40 से 50 हजार हेक्टेयर में इसकी खेती करता है. लेकिन कुछ दिनों से किसानों को गुलाबी सुंडी रोग काफी परेशान कर रहा है, जिसकी वजह से कपास में गुणवत्ता और उत्पादन में भी कमी आ जाती है.
कपास की फसल में ऐसे करें रोग की पहचानडॉ. शंकर सिंह राठौड़ ने कहा कि कपास की फसल में सुंडी रोग की पहचान करने के लिए यह जरूरी है कि कपास की फसल में करीब 60 से 70 दिन बाद में रोग का असर देखने को मिलता है. जब टिंडो में लट आने लग जाती है तभी इसका पता लगता है इसके बचाव के लिए किसानों को एडवांस में ही व्यवस्था करनी पड़ती है.
बचाव के लिए अपनाएं यह तरीकाडॉ. शंकर सिंह राठौड़ ने कहा कि जिला स्तर पर संयुक्त निदेशक कृषि कार्यालय में कंट्रोल रूम बनाया जाएगा. पर्यवेक्षक व अधिकारियों को कीड़े से निपटने के लिए बुवाई से अंत तक किसानों को क्या करना क्या नहीं करना. इसकी कार्ययोजना बनाई जाएगी. किसान जो कपास की बुवाई कर रहे हैं फसल में कीड़ा नहीं आए, इसलिए खेत पर रखी बनेटियां झाड़कर अधपके टिंडों को नष्ट कर दें ताकि अगली फसल में प्रसार न हो, बीटी कपास के आसपास बनेठियों के ढेर न लगाएं.
गुलाबी सुंडी से प्रभावित फसल अवशेषों को नष्ट कर दें और कपास फैक्ट्री या जिनिंग मिल है. उसके वहां जो अवशेष है उसे भी नष्ट कर दें. कपास की फसल लगाने के 60 दिन पर नीम सीड करनाल एक्सट्रैक्ट 5 प्रतिशत का छिड़काव करें. फसल 60 से 120 दिन की हो जाए तब मिश्रित कीटनाशकों का छिड़काव न करते हुए विभाग द्वारा बताए गए यह तरीके अपनाना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : May 31, 2024, 14:46 IST