If you have a mustache then it should not be like jagdish gurjar – News18 हिंदी

मनीष पुरी/भरतपुर. राजस्थान का नाम आते ही रजपूती रण बांकुरों की एक रौबीली छवि मन में उभर आती है. बृज अंचल मत्स्यांचल, ढूंढाड़, मारवाड़, मेवाड़, वागड अंचलों की बात हो चाहे बात हो हाड़ौती क्षेत्र की यहां सभी जगहों की अपनी-अपनी सांस्कृतिक विविधताओं के अलग-अलग रंगों के फूलों से बने गुलदस्ते सी है. राजस्थानी संस्कृति इन सभी अंचलों की वेशभूषा, बोली, खानपान को लेकर अपनी अलग पहचानी जाती है. इन सभी से मिलकर बना है हमारा रंग-रंगीला राजस्थान. इतनी विविधताओं के बीच राजपूताना की एक बात है जो पूरे प्रदेश में एक जैसी है और वो है राजस्थानी लोगों द्वारा चेहरे पर रखी जाने वाली रौबदार मूंछें.
भरतपुर जिला मुख्यालय से दक्षिण दिशा में लगभग 55 किलोमीटर बयाना इलाके के गांव नगला वर्धा में ऐसे ही रौबदार मूंछों वाले एक शख्स हैं, जिसे देखकर आप ‘मूंछें हो तो नत्थूलाल जैसी वरना ना हो’ कहावत को बदलने को मजबूर हो जाएंगे. दरअसल, भरतपुर में करीब साढ़े छः फीट लम्बाई की मूंछों वाले एक व्यक्ति जगदीश गुर्जर छाबड़ी से हमारी मुलाकात हुई और हमने उनसे उनकी लम्बी और रौबदार मूंछों के बारे में जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि उनको चेहरे पर हमेशा मूंछों को रखे जाने की सलाह उनके पिता ने दी.
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पिता जी ने मूंछें काटने को किया था मना
जगदीश गुर्जर ने अपने पिता की बात मानकर मूंछ रखना शुरू किया. उन्होंने बताया कि इसके अलावा मेरे पिताजी ने कहा था कि मूंछों पर कभी भी उस्तरा या कैंची मत लगवाना. मैंने अब तक के जीवन में कभी भी अपनी मूंछों पर कैंची या उस्तरा नहीं लगवाया है. फिर भी मैंने मजबूरी में अपनी मुछों को तीन बार पांच फीट से अधिक होने पर अपने हाथों से ही तोड़ दी. उसके बाद फिर से मैंने मूछों को बढ़ाना शुरू कर दिया. मैं अपनी मूंछों को 8 फीट लंबी करना चाहता था. लेकिन रखरखाव की चुनौतियों और क्षेत्र में कुशल हेयर केयर सर्विस के अभाव के चलते मेरी मूंछें करीब 2 फुट लम्बाई में झड़ गई. अब मेरी मूंछों की लंबाई लगभग 6 फीट है. सिर्फ भरतपुर जिला ही नहीं भरतपुर के आसपास के जिले धौलपुर करौली या यूं कहें तो पूरे भरतपुर संभाग में किसी की भी मूंछों की लम्बाई इतनी नहीं है.
मूछों के फायदे
चर्मरोग विशेषज्ञों की मानें तो चेहरे पर दाढ़ी-मूंछें स्किन की कई समस्याओं से बचाव करती हैं. दाढ़ी-मूंछें चेहरे की स्किन को सूखी होने से और अल्ट्रावॉयलट किरणों के हानिकारक प्रभाव से लगभग 90 प्रतिशत तक बचाती हैं और जीवाणुओं के संक्रमण व धूल आदि से भी बचाव करती हैं.
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FIRST PUBLISHED : February 26, 2024, 16:56 IST