अगर आपका नींबू नहीं फल रहा तो अपनाएं ये नुस्खे, फल से लद जाएगा पेड़, बांटते-बांटते थक जाएंगे

जालौर. राजस्थान की सूखी जलवायु में जैविक खेती काफी कठिन मानी जाती है. ऐसे शुष्क वातावरण में नींबू की बागवानी आसान काम नहीं है. अगर ये ठीक तरीके से की जाए तो नींबू की खेती किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है. यहां हम उपयोगी टिप्स बता रहे हैं. इनसे नींबू की पैदावार बढ़ायी जा सकती है.
वर्ष 2009 में ड्रिप सिंचाई कर जालौर जिले के डॉ रतन लाल शर्मा ने नींबू की बागवानी का सोचा. उसने नींबू के 300 पौधे लगाए और उनमें किसी भी तरह की रासायनिक खाद नहीं डाली. बल्कि जैविक तरीके से नींबू की बागवानी की. 5 साल बाद जब नींबू खूब फला. तब उसे बेचने मंडी गए. लेकिन फसल के सही दाम ही नहीं मिले. इससे निऱाश किसान ने फसल नहीं बेची.
नींबू की जैविक खेतीनींबू के भाव ढाई सौ रुपए प्रति किलो चल रहे हैं. इस किसान ने नींबू को मंडी में न बेचकर गांव की महिलाओं को उचित भाव में देने का सोचा ताकि महिलाओं को रोजगार मिल सके. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गृह उद्योग की प्रेरणा दी. अब नींबू से गांव की महिलाएं अचार-मुरब्बा-शरबत सहित कई चीजें बनाती हैं. गांव के जिन लोगों को नींबू की आवश्यकता होती है उन्हें उपयोग के लिए देते हैं.
जैविक खेती क्या है?डॉ रतन लाल शर्मा ने बताया जैविक खेती पर्यावरण की शुद्धता को बनाए रखने में मदद करती है. जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता. इस प्रकार की खेती में जो तत्व प्रकृति में पाए जाते हैं, उन्हीं को खेती में इस्तेमाल किया जाता है. जैविक खेती में गोबर की खाद, कम्पोस्ट खाद, जीवाणु खाद, फसल अवशेष और प्रकृति में उपलब्ध खनिज जैसे रॉक फास्फेट, जिप्सम का इस्तेमाल किया जाता है. प्रकृति में उपलब्ध जीवाणुओं, मित्र कीट और जैविक कीटनाशकों से फसल को हानिकारक जीवाणुओं से बचाया जाता है.
जैविक खेती के फायदेडॉ रतनलाल शर्मा बताते हैं जैविक खेती से किसानों की जमीन की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होती है. सिंचाई भी कम करना पड़ती है. रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी आती है. फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होती है. बाज़ार में जैविक उत्पादों की मांग बढ़ने से किसानों की आय में भी वृद्धि होती है. जैविक खाद का उपयोग करने से जमीन की गुणवत्ता में सुधार आता है.
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FIRST PUBLISHED : June 19, 2024, 14:50 IST