तेलंगाना में कपास की खेती: लाभदायक व्यवसाय के लिए जरूरी टिप्स

Last Updated:October 27, 2025, 16:00 IST
Farming Tips: हैदराबाद और तेलंगाना में कपास की खेती प्रमुख व्यवसाय है, क्योंकि यहां की काली मिट्टी (रेगुर) और उष्णकटिबंधीय जलवायु कपास के लिए अनुकूल हैं. सफल खेती के लिए सही किस्म का चयन, समय पर बुवाई, उचित सिंचाई और कीट-रोग प्रबंधन आवश्यक हैं. मिट्टी के अनुसार नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की खाद दी जाती है, और कुछ महत्वपूर्ण चरणों में सिंचाई जरूरी है.
हैदराबाद. तेलंगाना के आसपास के क्षेत्रों में कपास की खेती एक प्रमुख व्यवसाय है, यहां की जलवायु और मिट्टी कपास की खेती के लिए काफी हद तक उपयुक्त है. अगर आप कपास की खेती करने की योजना बना रहे हैं तो सही किस्म का चयन, समय पर बुवाई, उचित सिंचाई और कीट-रोगों का समय पर प्रबंधन सफल कपास खेती की कुंजी हैं. लेकिन यह सफेद सोना उगाने के लिए काली कपास मिट्टी (रेगुर मिट्टी) और उष्णकटिबंधीय जलवायु कपास के पौधे के लिए आदर्श स्थितियां प्रदान करती हैं.
कपास की खेती की सफलता सबसे पहले सही किस्म चुनने से शुरू होती है, तेलंगाना में मुख्यत दो प्रकार की कपास उगाई जाती है देशी किस्में अनुपम ये पारंपरिक किस्में हैं जो स्थानीय परिस्थितियों के प्रति अधिक सहनशील हो सकती हैं. संकर किस्में बीटी कपास ये आनुवंशिक रूप से संशोधित किस्में हैं जो विशेष रूप से कीड़ों के प्रति प्रतिरोधी होती हैं.
खेत की तैयारी और बुवाई सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बनाया जाता है. इससे मिट्टी में हवा का संचार बेहतर होता है और पुरानी फसल के अवशेष हट जाते हैं. खेत को समतल करके पाटा लगा देना चाहिए ताकि पानी का वितरण समान रूप से हो सके, बुवाई हमेशा नम मिट्टी में करनी चाहिए. संकर किस्मों के लिए लगभग 750 ग्राम से 1 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ पर्याप्त होता है. आमतौर पर कपास की बुवाई लाइनों में की जाती है, पंक्ति से पंक्ति की दूरी लगभग 3-4 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 1.5-2 फीट रखी जाती है. इससे पौधों को फैलने और हवा व धूप मिलने के लिए पर्याप्त जगह मिलती है.
पोषण और सिंचाईमिट्टी की जांच के आधार पर खाद डालनी चाहिए, आमतौर पर अच्छी पैदावार के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की आवश्यकता होती है. जैविक खाद गोबर की खाद का उपयोग मिट्टी की सेहत के लिए बहुत यानी फायदेमंद होता है. कपास की फसल को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती लेकिन कुछ महत्वपूर्ण चरणों में सिंचाई जरूरी है. बुवाई के लगभग 150-180 दिन बाद कपास की कटाई शुरू हो जाती है. जब कपास के बीज पूरी तरह से फट जाएं और सफेद रूई दिखने लगे, तब हाथ से कटाई की जाती है. कटाई कई चरणों में होती है क्योंकि सभी बीज एक साथ नहीं फटते. कटाई के बाद रूई को बीज से अलग किया जाता है, इस प्रक्रिया को जिनिंग कहते हैं. इसके बाद, रूई की शुद्धता, रंग और रेशे की लंबाई के आधार पर उसकी ग्रेडिंग की जाती है. उच्च ग्रेड की कपास का बाजार में बेहतर दाम मिलता है.
कपास की खेती लाभदायक तो है, लेकिन इसमें जोखिम भी हैं. एक एकड़ कपास की खेती में बीज, खाद, कीटनाशक, सिंचाई और श्रम की लागत मिलाकर लगभग ₹25,000 से ₹40,000 तक आ सकती है. अच्छी पैदावार और बाजार भाव के हिसाब से एक एकड़ से ₹80,000 से ₹1,50,000 तक की आय हो सकती है.
Monali Paul
Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें
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Location :
Hyderabad,Telangana
First Published :
October 27, 2025, 16:00 IST
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