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2 मिनट में पता चलेगा ज्यादा वजन वाले लोगों में बीमारी होगी या नहीं, खुद ही करें परीक्षा, मैनेज भी होगा मोटापा

Obsess people can test future health: भारत में करीब 10 करोड़ लोग मोटापे के शिकार हैं. मोटापा ऐसी बीमारी है जो कई तरह की मेटाबोलिक बीमारियों को जन्म देती है. भारत में मोटापे का पैटर्न भी अलग तरह का होता है. यहां के लोगों में मोटापा पेट के पास होता है, शरीर के बाकी हिस्से दुबले-पतले होते हैं. ऐसे में लोग समझते हैं कि उनका वजन ठीक है लेकिन पेट की चर्बी कहीं ज्यादा खतरनाक है और यह मोटापे का खतरनाक रूप है. अगर किसी का ज्यादा वजन है तो इससे डायबिटीज, फैटी लिवर डिजीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर जैसी जानलेवा बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है. फैटी लिवर की अधिकांश बीमारी मोटे लोगों में ही होता है. लेकिन मोटे लोगों में भविष्य में ये सारी बीमारियां होंगी या नहीं, इसका पता आप खुद लगा सकते हैं. एक शोध में यह बात सामने आई है कि ज्यादा वजन वाले लोगों की पैदल चलने की गति से यह पता लगाया जा सकता है कि उन्हें भविष्य में मेटाबोलिक बीमारियां होंगी या नहीं.

कैसे चलते हैं आप इसी से पता चलेगाअध्ययन में यह बात सामने आई है कि चलने की गति से यह पता लगाया जा सकता है कि किसी व्यक्ति को मोटापे के कारण कोई स्वास्थ्य समस्या तो नहीं है. साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि तेज गति से चलने से मोटे लोगों में मेटाबॉलिक डिजीज संबंधी बीमारियों का पता लगया जा सकता है. अध्ययन के मुताबिक जिन लोगों का वजन ज्यादा है अगर वह अपने साथियों की तुलना में तेज गति से चलते हैं तो उन्हें भविष्य में मेटाबोलिक बीमारियों का खतरा ज्यादा है. यानी अगर मोटे लोग तेज गति से चलें तो उन्हें हाई बीपी, डायबिटीज, फैटी लिवर डिजीज जैसी मेटाबोलिक बीमारियों का खतरा कम हो जाता है. इस तरह के टेस्ट को दो दो मिनट के अंदर पहचाना जा सकता है. पिछले अध्ययनों ने कहा गया था कि धीमी गति से चलने से हृदय संबंधी बीमारियों के विकास और बुजुर्गों में मृत्यु दर के जोखिम में वृद्धि होती है.जापान में दोशीशा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन ने मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों में चलने की गति और चयापचय रोग (मेटाबॉलिक डिजीज) के बीच संबंध का पता लगाया.निष्कर्ष बताते हैं कि यह आकलन करना कि कोई व्यक्ति अपने साथियों की तुलना में अपनी चलने की गति को कैसे समझता है.यह स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बन सकता है.

हार्ट संबंधी बीमारियों से बचाव यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कोजिरो इशी ने कहा, इस शोध ने स्पष्ट किया कि मोटापे से ग्रस्त मेटाबोलिज्म संबंधी बीमारियों से घिरा व्‍यक्ति अगर अपनी चलने के गति तेज रखता है तो उसमें हाई बीपी, डायबिटीज और डिस्लिपिडेमिया की आशंका कम होती है. अध्ययन के अनुसार, जो व्यक्ति तेजी से चलते हैं वे अधिक फिट हो सकते हैं और उनमें चयापचय रोगों का जोखिम कम होता है. टीम ने बताया कि तेज चलने से हार्ट और श्वसन तंत्र सही रहता है. साथ ही इंफ्लामेशन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रैस का स्तर भी कम होता है. ये दो ऐसे फेक्टर हैं जिनसे मेटोबिलक डिजीज होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. अध्ययन में मोटापे से ग्रस्त करीब 25 हजार लोगों के चलने की गति का विश्लेषण किया गया. अध्ययन में पाया गया कि मोटापे से ग्रस्त वे लोग जो अपने साथियों की तुलना में तेज गति से चलने की प्रवृति थी उनमें डायबिटीज का खतरा 30 प्रतिशत कम था वहीं हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल की आशंका भी बहुत कम थी. डॉ. इशी ने कहा, तेज गति से चलने को बढ़ावा देना एक उपयोगी व्यक्तिगत व्यवहार हो सकता है, जो मेटाबोलिज्म संबंधी बीमारियों को रोकने में मदद कर सकता है. यह विशेष रूप से मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों पर काम करता है.

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Tags: Health, Health News, Trending news

FIRST PUBLISHED : December 20, 2024, 16:41 IST

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