In India 8 Lakh People Die Every Year Due To COPD – World COPD Day: भारत में 8 लाख लोग हर साल मरते हैं सीओपीडी के कारण
World COPD Day: सीओपीडी रोगियों की देखभाल को प्राथमिकता देने जरूरत
– भारत में 8 लाख लोग हर साल मरते हैं सीओपीडी के कारण
– मनाया विश्व सीओपीडी दिवस
World COPD Day:
विश्व सीओपीडी दिवस के दिन क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के बारे में जागरूकता के लिए टॉक शो का आयोजन किया गया। राजस्थान हॉस्पिटल की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में चेस्ट फिजिशियन और राजस्थान अस्पताल के अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह ने कहा कि सीओपीडी के बारे में जन जागरूकता की स्थिति खराब है, जिसके कारण बीमारी के उपचार में देरी होती है। उनका कहना है कि सीओपीडी आमतौर पर हानिकारक कणों या गैसों के महत्वपूर्ण संपर्क के कारण होता है। धूम्रपान करने वालों, पुरुषों और 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह आमतौर पर अधिक होता है। तम्बाकू एवं धूम्रपान सीओपीडी के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक के रूप में जाना जाता है। खाना पकाने के लिए चूल्हे या बायोगैस का उपयोग करने वाली महिलाओं में भी सीओपीडी का खतरा उच्च स्तर पर है। इसके अलावा, वायु प्रदूषण और बार-बार फेफड़ों में संक्रमण से सीओपीडी का खतरा और भी बढ़ जाता है।
धुएं से बचें
डॉ. वीरेंद्र सिंह का कहना है कि लगातार धुएं वाले कारको के संपर्क में आने से और बार-बार लंग संक्रमण के संपर्क से अंतर्निहित सीओपीडी बढ़ सकता है, जिससे फेफड़े का दौरा पड़ता है। सीओपीडी पर जागरूकता की कमी की वजह से लोग डॉक्टर्स के पास नहीं जाते हैं जो कि इसके रोकथाम में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। सीओपीडी के लक्षणों की पहचान करना और लंग-अटैक होने पर चिकित्सक से परामर्श जान पर जोखिम कम करता है।
जांच भी जरूरी
इस मौके पर सिप्ला के वैश्विक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जयदीप गोगटे’ ने कहा सीओपीडी की जांच में ‘स्पाइरोफी’ उपकरण सबसे ज्यादा जरूरी है, जो फेफड़ों की क्षमता की जांच बताता है। जांच के आधार पर ही मरीज को सही उपचार मिल सकता है। इस उपकरण से ऑब्सट्रक्टिव एयरवे डिजीज को समय पर डायग्नोसिस किया जा सकता है। रोगियों की स्पिरोमेट्री जांच नहीं करने की वजह से सीओपीडी के बहुत से मामले जांच में छूट सकते हैं।
डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि प्रारंभिक स्क्रीनिंग और डायग्नोसिस फेफड़ों के अटैक के रोग के बोझ को कम करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। श्वसन रोग संबंधी लक्षणों वाली आबादी में स्पिरोमेट्री टेस्ट महत्वपूर्ण है क्योंकि यह गलत डायग्नोसिस से बचाती है और वायु प्रवाह सीमा की गंभीरता का मूल्यांकन करने में सहायता करती है।