करौली में यहां रात भर छाया रहता है गणेश चतुर्थी का उल्लास, लगता है विशाल मेला

राजस्थान की धर्मनगरी करौली में गणेश चतुर्थी का उत्सव बड़े ही धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाता हैं. प्राचीन परंपराओं के अनुसार, इस खास पल का यहां के लोगों को सालभर इंतजार रहता हैं. इंतजार रहने का कारण है कि गणेश चतुर्थी की रात करौली में एक विशाल मेला सालभर में एक बार लगता हैं.
दिन में जहाँ शहर के हर गली-मोहल्लों और गणेश मंदिरों में भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है और गणेश जन्मोत्सव का आयोजन होता है तो रात को पूरा शहर रोशनी से जगमगा उठता है, जैसे मानों दिवाली का पर्व हो.
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करौली को “छोटा वृंदावन” कहा जाता है, यहां गणेश चतुर्थी के अवसर पर प्राचीन मंदिरों में भव्य सजावट की जाती है. जगह-जगह पर सजीव झांकियां सजाई जाती हैं, जो इस पर्व की शोभा को और बढ़ा देती हैं. इस सजावट को देखने के लिए शहर के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं.
गणेश चतुर्थी की रात को यहां का माहौल मेला जैसा हो जाता है, लोग गणेश मंदिरों की भव्य सजावट और रोशनी देखने के लिए देर रात तक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.
खासतौर से गणेश चतुर्थी के अवसर पर करौली के मुख्य प्रवेश द्वारों पर विशेष सजावट की जाती है और शहर के गणेश गेट और हिंडौन गेट को पुरी तरह से सजाया जाता हैं. यहां के हिंडौन दरवाजा पर तो भगवान गणेश की प्राचीन प्रतिमा को 21 फीट ऊंचाई पर चोला चढ़ाया जाता है और छप्पन भोग का प्रसाद भी लगाया जाता है.
गणेश चतुर्थी की रात करौली की गलियों और चौराहों पर इतनी रौनक होती है कि माहौल एकदम दिवाली जैसा प्रतीत होता है. इस दिन शहर के सभी गणेश मंदिरों पर श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद की भी व्यवस्था की जाती है. जिसमें भक्तों को बूंदी और पंजीरी का प्रसाद बांटा जाता है.
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FIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 10:06 IST