In this city, Holi ends after breaking the taani – News18 हिंदी
निखिल स्वामी/बीकानेर: बीकानेर की होली अपने आप में पूरी दुनिया में सबसे अलग मनाई और खेली जाती है. यहां होली पर कई तरह की परंपराएं है जिसका शहरवासी आज भी उत्साह से निर्वहन कर रहे है. यहां होली पर एक ऐसी अनोखी परंपरा होती है की उसके बाद ही होली का समापन माना जाता है. हम बात कर रहे है बीकानेर में होली पर तणी तोड़ने की परंपरा है जो रियासतकाल से चली आ रही है.
हर साल धुलंडी के दिन नत्थूसर गेट के बाहर इसका आयोजन होता है. पुष्करणा समाज की विभिन्न जातियों की गैर खासी दिलचस्प होती हैं. परंपरागत रूप से जोशी जाति के पुरुष की जोर से तणी को काटा जाता है. जगी कटने के दौरान हवा में उछाली जाने वाले गुलाल से बनने वाला अतरंग माहौल हो जाता है. तणी काटने से कई परंपराए जुडी हुई हैं. यह तणी जोशी जाति के पुरुष की ओर से ही काटी जाती है.
तणी काटने की है खास परंपरा
तणी काटने वाला पुरुष किराडू जाति के पुरुषों के कंधों पर खड़े होकर तणी काटता है. पूजन सूरवासाणी पुरोहित जाति की ओर से किया जाता है. ओझा, छंगाणी, सूरवासाणी, किराडू, जोशी सहित समाज की विभिन्न जातियों के लोग पारंपरिक गैर में शामिल होते हैं. गेर पहुंचने के बाद ही तणी काटने की रस्म प्रारंभ होती है. तणी आयोजन से जुड़े राधेश्याम व्यास ने बताया कि तणी तैयार करने में सात किलोग्राम मूंझ का उपयोग होता है.
मूंझ को बटकर करीब 20 फीट लंबाई में तणी तैयार की जाती है. कई घंटों की मेहनत के बाद तणी तैयार होती है. करीब पांच से छह घंटे तक तैयार तणी को पानी में भिगोकर रखा जाता है. इसके बाद इसे नत्थूसर गेट के बाहर बांधा जाता है. तणी के साथ तोरण, कांकण होरा, दूध-दही की हांडी आदि भी बांधे जाते हैं. सूरदासाणी पुरोहित जाति की ओर से तणी परंपरा को प्रारंभ करने में तणी बांधी जाती है.
तीन दशक से नत्थूसर गेट पर आयोजन
रियासतकाल से बारहगुवाड़ गुवाड़ चौक स्थित सूरदासाणी मोहलते में तणी काटने की परंपरा का आयोजन होता था. वर्ष 1993 से नत्थूसर गेट के बाहर इसका आयोजन हो रहा है.
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FIRST PUBLISHED : March 25, 2024, 09:22 IST