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सीकर. राजस्थान (Rajasthan News) के एक किसान मशरूम की बेहद खास और कीमती (Costly Mushroom) किस्म उगाते हैं. सीकर (Sikar News) के छोटे से गांव नानी में रहने वाले मोटाराम शर्मा ने 12वीं तक की पढ़ाई की है. लेकिन अब इलाके में उन्हें मशरूम किंग कहता जाता है. उनका कहना है कि एक किलो मशरूम की कीमत करीब 2 लाख रुपये होती है यानी एक किलो चांदी से करीब 3 गुना ज्यादा महंगा. मोटाराम का कहना है कि सालाना 200 किलो मशरूम का प्रोडक्शन किया जाता है. उन्होंने अब इसे लेकर एक नया प्रोजेक्ट भी शुरू किया है. उन्होंने बताया कि सीकर के विजयपुरार गांव के पास अपने फार्म हाउस पर मेडिसिनल मशरूम लैब बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया है.
मोटाराम शर्मा का कहना है कि कॉर्डिशेप मिलिटरिस मशरूम की एक खास वैरायटी है. इसके लिए एक लैब तैयार किया गया है. इस लैब में 2 महीने में करीब 6 किलो कॉर्डिशेप मिलिटरिस पैदा होती है. कॉर्डिशेप मिलिटरिस को वेलनेस मेडिसिन के तौर पर उपयोग किया जाता है. बाजार में इसकी अच्छी डिमांड है. यह 2 से 5 रुपये किलो बिक जाता है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मोटाराम शर्मा मलेशिया का मेडिसिनल मशरूम गैनोडर्मा का देश में कमर्शियल उत्पादन करने वाले पहले किसान हैं. उनको इजरायल से भी ऑफर मिला था. मोटाराम ने उसे ठुकरा दिया. अब वे कई तरह के मशरूम का प्रोडक्शन कर 50 लाख की कमाई कर रहे हैं.
25 साल पहले मोटाराम ने ऐसे की थी शुरुआत
मोटाराम शर्मा का कहना है कि पिछले 25 साल से मशरूम प्रोडक्शन के बिजनेस से जुड़े हुए हैं. पहले साधारण मशरूम उगाने से उन्होंने शुरुआत की. शुरुआत दौर में सिर्फ पांचवीं तक की पढ़ाई की थी. मशरूम की खेती के साथ पढ़ाई भी की. इसके बाद नैचुरोपेथी का कोर्स किया. अब मशरूम का बिजनेस करने वाले उनसे एक्सपर्ट राय लेते हैं.

मोटाराम शर्मा का कहना है कि कॉर्डिशेप मिलिटरिस मशरूम की एक खास वैरायटी है. इसके लिए एक लैब तैयार किया गया है. इस लैब में 2 महीने में करीब 6 किलो कॉर्डिशेप मिलिटरिस पैदा होती है.
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मोटाराम बताते हैं कॉर्डिसेप मशरूम उगाना आसान नहीं है. इसके लिए दो महीने तक 14 से 18 डिग्री का टेम्परेचर और ह्यूमिडिटी मैंटेन करना जरूरी होता है. थोड़ी सी भी चूक होने पर मशरूम खराब हो जाता है. इसके लिए लगातार मॉनिटरिंग की जरूरत होती है. वे अपने लैब में मशरूम का जूस से लेकर अचार, मशरूम पाउडर समेत कई अन्य प्रोडक्ट्स भी बनाते हैं.
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