Rajasthan

महामारी के बीच रेमिडिसीवर की कालाबाज़ारी करते पकड़े गए 6 आरोपी

रेमेडेसिविर इंजक्शन की कालीबाजारी करने के आरोपी पुलिस की गिरफ्त में.

रेमेडेसिविर इंजक्शन की कालीबाजारी करने के आरोपी पुलिस की गिरफ्त में.

जयपुर पुलिस (Jaipur Police) की टीम ने डिकॉय ऑपरेशन कर किया मामले का भंडाफोड़. 48 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई कर पुलिस ने छह आरोपियों को पकड़ा. News18 की खबर के बाद जयपुर पुलिस यह ऑपरेशन चलाया है.

जयपुर. कोरोना (Corona) की महामारी के बीच में रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत पूरे देश नजर आ रही है. ऐसे में रेमडीसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी से भी इंकार नहीं किया जा सकता. न्यूज़ 18 ने बीते दिनों इंजेक्शन की कालाबाजारी को लेकर खुलासा किया था, जिसके बाद जयपुर पुलिस ने अपने सार्सेज के साथ मिलकर कार्रवाई को अंजाम दिया.

जयपुर पुलिस कमिश्नरेट की क्राइम ब्रांच की स्पेशल टीम ने जयपुर शहर में मुरलीपूरा थाना इलाके में और कोतवाली थाना इलाक़े में 48 स्थानों पर डिकॉय ऑपरेशन को अंजाम दिया. इस दौरान डिकॉय ऑपरेशन में पुलिसकर्मी सादे ड्रेस में इंजेक्शन खरीदने के लिए मेडिकल की दुकानों पर गए. तभी यह आरोपी इंजेक्शन को पंद्रह से पच्चीस हज़ार रुपये में ब्लैक करते मिले.

DCP क्राइम बिगत आनंद ने बताया कि छह आरोपियों को इस पूरे मामले में गिरफ्तार किया गया है. आरोपियों के क़ब्जे से टीम ने दो रेमिडिसिवर इंजेक्शन भी बरामद किए हैं. वहीं मामले में डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने बताया कि लगातार कार्रवाई की जा रही है.
गुड़गांव से लाए थे 725 इंजेक्शनआरोपियों ने पुलिस को बताया कि उनको गुड़गांव से इंजेक्शन मिले थे. जहां से इन इंजेक्शनों की ख़रीद करके ये आरोपी जयपुर और राज्यभर के अलग-अलग जिलों में बेच रहे थे. आरोपी गुड़गांव से 725 इंजेक्शन खरीद कर लाने की बात स्वीकार की है.

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शंकर माली है सरगना

आरोपियों से जयपुर पुलिस की टीम लगातार पूछताछ कर रही है. DCP ने बताया कि थाना मुरलीपुरा से आरोपी जय प्रकाश वर्मा, दलबीर सिंह, विकास मित्तल, बसंत कुमार जांगिड़, विक्रम गुर्जर और शंकरलाल माली को गिरफ़्तार किया गया है. इन आरोपियों में शंकर माली की भूमिका सरगना के रूप में सामने आयी है, जिसने दिल्ली के एक चिकित्सक के द्वारा यह इंजेक्शन ख़रीदने की शुरुआत के बारे में बताया है.

असली या नकली इस पर संशय

डीसीपी ने बताया कि इंजेक्शन असली है या नकली है इस पर भी सवाल है..क्योंकि इंजेक्शन की वास्तविक क़ीमत पैंतीस सौ रुपये है, जबकि आरोपियों ने बाईस सौ रुपये में इंजेक्शन को दिल्ली से खरीदा था. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि ये इंजेक्शन नक़ली तो नहीं हैं.





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