Pali News: पाली की नई पहचान बनता जा रहा है चूड़ी उद्योग, संकट के समय में सहारा भी


फैक्ट्री में चूड़ी पाइपिंग का काम करता मज़दूर.
Pali News: एक वक्त कपड़ा उद्योग की डेढ़ हज़ार फैक्ट्रियां राजस्थान के इस इंडस्ट्रियल इलाके में हुआ करती थीं, जो अब एक तिहाई रह गई हैं. ऐसे में रोज़गार की बात हो या छवि की, इस नए उद्योग ने काफी सहारा दिया है.
अब तक जिले के प्रमुख उद्योग के तौर पर टेक्सटाइल सेक्टर पाली के केंद्र में था, लेकिन प्रदूषण की समस्या से निजात पाने की मुहिम जब शुरू हुई तो यह उद्योग लगातार छोटा होता चला गया. एक समय ज़िले में 1500 से ज्यादा कपड़े की फेक्टरियां चल रही थीं लेकिन अब 500 से भी कम इकाइयां रह गई हैं.
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इस उद्योग के सिमटने से एक तो औद्योगिक नगरी की पहचान पर संकट खड़ा हुआ तो दूसरी तरफ मज़दूर बेरोज़गार हुए. रही सही कसर कोरोना के कारण लॉकडाउन ने पूरी कर दी, इससे मज़दूरों के सामने और भी संकट आ गया . काम की तलाश में इधर उधर भटक रहे मज़दूरों को नया सहारा चूड़ी कारोबार ने दिया. पाली शहर में चूड़ी उद्योग पिछले कुछ साल से नए विकल्प के तौर पर खूब पनप रहा है.

महिलाओं को मिला रोज़गार
खास बात यह है कि इस उद्योग ने महिलाओं को बड़ी संख्या में रोज़गार दे दिया है. मशीनों वाली फैक्ट्रियों में चूड़ी पाइप बनाने के साथ ही कटाई का काम होता है, लेकिन सैकड़ों घरों में इस उद्योग की वजह से महिलाओं को घर बैठे नगीना लगाने सहित कई तरह के काम मिल रहे हैं. चूड़ी उद्योग के लिए पहले कानपुर ही चर्चित था, लेकिन अब पाली का नाम भी लिया जाने लगा है.
देशभर को भा रही हैं चूड़ियां
पिछले तीन साल के दौरान पाली में चूड़ी कटिंग की मशीनों वाली 2000 से भी ज्यादा इकाइयां लग चुकी हैं. कई लोगों को रोज़गार मिल रहा है, पाली में बनी चूड़ियां देश भर में लोगों की पहली पसंद बनती जा रही हैं. चूड़ी मज़दूरों से लेकर कारोबारियों तक का कहना है कि सरकार चूड़ी के लघु उद्योग को बढ़ावा दे.दूसरे उद्योगों की तरह इस लघु उद्योग को भी सरकार का सहयोग मिले तो आने वाले समय में यह इंडस्ट्री पाली ही नहीं बल्कि राजस्थान भर की पहचान बन सकती है.