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Indian cricket team England Virat Kohli Australia Ravindra Jadeja Virat Kohli nodakm – ओवल टेस्ट में जीत के ऐतिहासिक मायने | – News in Hindi

ये ठीक है कि विराट कोहली की टीम ने अभी भी इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज़ नहीं जीती है, लेकिन इसके बावजूद ओवल टेस्ट में जीत के कई ऐतिहासिक मायने हैं. सबसे पहले और ख़ास यह कि अब तब किसी भी एशियाई कप्तान ने कोहली से ज़्यादा टेस्ट इंग्लैंड में नहीं जीते हैं. इंग्लैंड में 3 टेस्ट जीतने वाले कोहली इकलौते भारतीय कप्तान ही नहीं, बल्कि एशियाई कप्तान बन गये हैं.

अब तक भारतीय कप्‍तान में कपिल देव के नाम 2 जीत का रिकॉर्ड था और पाकिस्‍तान के इमरान ख़ान, जावेद मियांदाद और मिज़बा उल हक़ ने भी 2-2 मैच जीते हैं. इसके अलावा, विराट कोहली अगर सीरीज़ का पांचवा मैच ओल्ड ट्रैफर्ड में वो जीतते हैं या ड्रा भी करा लेते हैं, तो पहले एशियाई कप्तान बनेंगे, जिन्होंने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया दोनों मुल्कों में सीरीज़ जीत हासिल करने का कमाल दिखाया हो.

लीडर के तौर पर कोहली का नया रुप

लेकिन, सबसे बड़ी बात इस सीरीज़ के दौरान उभरकर सामने आई है, तो वो है लीडर के तौर पर कोहली का नया रुप. कोहली अपने फैसलों को लेकर अक्सर अडिग रहते हैं, जिसके चलते उन्हें कई बार अडियल भी कहा गया. इस सीरीज़ में लगातार 4 मैचों में रविचंद्रण अश्विन जैसे स्पिनर को प्लेइंग इलेवन से बाहर करने का फ़ैसला निश्चित तौर पर कप्तान के लिए भी मुश्किल रहा होगा, लेकिन वो ज़रा भी विचलित नहीं हुए.

ओवल टेस्ट के आखिरी दिन जब ऐसा लगा कि मैच जिताने में रवींद्र जडेजा पर सबसे ज़्यादा दारोमदार होगा, तब भी कोहली के चेहरे पर उस बात की शिकन नहीं दिखी कि अगर वो हारते हैं, तो अश्विन के सवाल पर वो बुरी तरह से घिरेंगे. लेकिन, कोहली का असाधारण आत्मविश्वास ही तो उनकी टीम की सबसे बड़ी पहचान है.

ये आत्मविश्वास का ही तो नतीजा है..

ये आत्मविश्वास का ही तो नतीजा है कि सलामी बल्लेबाज़ों के लिए सबसे मुश्किल मुल्क माने जाने वाले इंग्लैंड में रोहित शर्मा सबसे बेहतरीन ओपनर बनकर उभरे हैं. ये आत्मविश्वास का ही तो नतीजा है कि जिस एल राहुल का मिडिल ऑर्डर में खेलना भी मुश्किल था, लेकिन जब उसे अचानक ओपनिंग की ज़िम्मेदारी दे दी गई, तो उन्होंने पहले दो मैचों में शतक ठोक डाले. ये आत्मविश्वास का ही तो नतीजा है, तो चेतेश्वर पुजारा के बल्ले से भले ही अब तक सीरीज़ में कोई शतक ना निकला हो, लेकिन उन्होंने मैच जिताने वाले कई उम्दा अर्धशतक बनाये.

ये आत्मविश्वास का ही तो नतीजा है, कि लगातार संघर्ष करने के बावजूद कोहली ने उपकप्तान अजिंक्य रहाणे पर भरोसा नहीं खोया है. ये आत्मविश्वास का ही तो नतीजा है कि ओवल टेस्ट की आखिरी पारी से पहले, जिस ऋषभ पंत से 7 पारियों में किसी तरह से 100 रन का आंकड़ा पार हुआ था, उसने अचानक ही एक निर्णायक पारी खेल डाली. ये आत्मविश्वास का ही तो नतीजा है, कि जिस जडेजा की ऑल-राउंडर काबिलियत का मज़ाक उड़ाया जाता है.

जडेजा ने इस मैच में ना सिर्फ एक अर्धशतक बनाया, बल्कि 5वें नंबर जैसे बेहद चुनौतीपूर्ण नंबर पर बल्लेबाज़ी करने का बीड़ा उठाया. अलग से कीमती विकेट झटके वो तो एक अलग ही बात रही. ये आत्मविश्वास का ही तो नतीजा है, जिस उमेश यादव ने पिछले डेढ़ साल से कोई भी फर्स्ट क्लास मैच नहीं खेला था, उसने अचानक मैच में ऐसी लय दिखायी कि कभी लगा ही नहीं कि ये ऑस्ट्रेलिया दौरे से अनफिट होकर बाहर हुआ था.

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लेकिन, कोहली के लिए आत्मविश्वास की मूर्ति उनके ऑलराउंडर शार्दुल ठाकुर रहे. पूरे मैच के दौरान जिस तरह से कोहली ने ठाकुर का गेंदबाज़ के तौर पर इस्तेमाल किया, उससे साफ था कि मुंबई के इस खिलाड़ी की बल्लेबाज़ी प्रतिभा ने कोहली को अपना मुरीद बना लिया है. ये आत्मविश्वास का ही तो नतीजा है कि जिस ठाकुर को टेस्ट क्रिकेट के लायक नहीं समझा जाता रहा, वो अब भारतीय क्रिकेट इतिहास की दो सबसे यादगार जीतों में अहम किरादर निभा चुका है. ब्रिसबेन 2020 और ओवल 2021.

ये असाधारण आत्मविश्वास का ही तो नतीजा है कि जिस टीम ने विदेश में आज तक सिर्फ 2 मौकों पर 99 से ज्‍यादा रन से पिछड़ने के बाद टेस्ट जीता हो, वो ऐसा पलटवार करती है कि 157 रन की बड़ी जीत हासिल करती है. वो इंग्लैंड, जिसे पाचंवे दिन, पहले सत्र के बाद ड्रॉ की उम्मीदें पूरी तरह से जिंदा दिख रही थी और जो चमत्कारिक जीत के बारे में भी सोच सकता था, वो अचानक ही 2 घंटे के अंतराल में ताश के पत्तों की तरह बिखर गया. एक बार तो ऐसा लगा कि मानो मैच ओवल में ना होकर चेन्नई में हो रहा हो और इंग्लैंड तेज़ गेंदबाज़ों के आगे बेबस ना होकर स्पिनर के ख़िलाफ़ चिरपरिचित अंदाज़ में डगमगा रहा है!

भारतीय टीम में कोई नहीं कोहली से बड़ा घायल शेर

कोहली की टीम ने एक बार फिर से साबित किया कि उनसे बड़ा घायल शेर कोई और नहीं है. अगर एडिलेड में वो 36 पर ऑलआउट होते हैं, तो मेलबर्न में विरोधी को पस्त कर देते हैं, अगर चेन्नई में वो ग़लती से चूकते हैं, तो उसी चेन्नई में इंग्लैंड को उसकी असलियत से रूबरू कराते हैं. अगर वो हैडिग्ले में 78 पर ऑलआउट होते हैं, तो ओवल में 50 साल बाद जीत हासिल करके ये कहने से नहीं चूकते कि इंग्लैंड अब तुममें वो बात नहीं है.

इस टीम को देखकर तो दिग्गज भी हो रहें होंगे हैरान

पिछले 12 महीने से कम समय में जितने मैच इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में मौजूदा भारतीय टीम ने जीते हैं, उतने तो पिछले 12 साल में सचिन तेंदुलकर, सौरव गागुंली, राहुल द्रविड़ औऱ अनिल कुंबले जैसे दिग्गजों से भरी टीम ने हासिल नहीं किये थे. तो ऐसे में असली महानतम टीम कौन है? मौजूदा दौर वाली टीम या सुनहरे अतीत वाली कोई और टीम?

2014 के इंग्लैंड दौरे पर महेंद्र सिंह धोनी की टीम ने भी कोहली की टीम की ही तरह नॉटिंघम में ड्रॉ का नतीजा हासिल किया था, लॉर्ड्स में जीते थे और उसके बाद अगले टेस्ट में मेज़बान से हारे थे. आलोचकों ने उस दौरे से तुलना करते हुए ये कहने में वक्त नहीं गंवाया कि कोहली की टीम भी आखिर में 1-3 से सीरीज़ हारेगी जैसा कि धोनी की टीम के साथ हुआ था. लेकिन, उन सारी भविष्यवाणियों को खारिज करते हुए कोहली की टीम ने इंग्लैंड में 3-1 से सीरीज़ जीतने की उम्मीद जगायी है, जो सिर्फ वेस्टइंडीज़ और ऑस्ट्रेलेलिया की महानतम टीमें अतीत में कर पाई.

तेज़ गेंदबाज़ों के सबसे धारदार आक्रमण वाली टीम

एक बात और कोहली की टीम ने पूरी तरह से टीम इंडिया की पहचान तेज़ गेंदबाज़ों के धारदार आक्रमण वाली टीम की छवि दुनिया में अब बना ली हैं. इस टीम के पास अश्विन और जडेजा जैसे स्पिनर हैं, जो अनिल कुंबले, हरभजन सिंह और महान स्पिन चौकड़ी के सदस्यों की तुलना में कहीं कम नहीं है, लेकिन तेज़ गेंदबाज़ी के मोर्चे पर इनके पास जसप्रीत बुमराह जैसा ‘सदी में एक’ किस्म का गेंदबाज़ है तो मोहम्मद शमी के तौर पाकिस्तानी वकार यूनिस और वसीम अकरम की तरह बेहद चालाक सीम और स्विंग गेंदबाज़.

अगर कपिल देव की तरह बिना थके, बिना रुके दिन में 30 ओवर डालने वाला घोड़ा ईशांत शर्मा है, तो सहयोगी गेंदबाज़ के तौर पर उमेश यादव के तौर पर इस भूमिका का महानतम तेज़ गेंदबाज जो टीम के लिए कभी भी किसी तरह का रोल बखूबी से निभा सकता है. बस अब इंतजार तो आखिरी और 5वें टेस्ट का जो कोहली और उनके साथियों को भारतीय टेस्ट इतिहास में एख बेहद ख़ास दर्जा दिला जायेंगे.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

ब्लॉगर के बारे में

विमल कुमार

विमल कुमार

न्यूज़18 इंडिया के पूर्व स्पोर्ट्स एडिटर विमल कुमार करीब 2 दशक से खेल पत्रकारिता में हैं. Social media(Twitter,Facebook,Instagram) पर @Vimalwa के तौर पर सक्रिय रहने वाले विमल 4 क्रिकेट वर्ल्ड कप और रियो ओलंपिक्स भी कवर कर चुके हैं.

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