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Indian selectors took a lazy approach in giving the captaincy to KL Rahul – केएल राहुल को कप्तानी देने में चयनकर्ताओं ने आलसी रुख अपनाया? | – News in Hindi

नई दिल्ली. इसे अजीब इत्तेफाक ही कहा जा सकता है कि जिस युवा कप्तान केएल राहुल (KL Rahul) को अपनी पहली वन-डे सीरीज में कप्तानी करते हुए हार का सामना करना पड़ा, उसी दिन उन्हें आईपीएल (IPL) की एक नई टीम लखनऊ ने इस साल के लिए टीम का कप्तान नियुक्त किया. इससे पहले जनवरी महीने के शुरुआत में राहुल को विराट कोहली (Virat Kohli) के अनफिट होने के चलते कप्तानी का मौका मिला था जहां वो मैच हारे थे. मैच हारने से ज्यादा जानकारों में इस बात की चर्चा अधिक हुई कि कप्तान के तौर पर राहुल बिल्कुल असहज दिख रहे थे. महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) ने भी तो अचानक 2014-15 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर कप्तानी छोड़ दी थी लेकिन जब विराट कोहली को अचानक से ये जिम्मेदारी मिली तो वो एकदम भौचक्के नहीं दिखे थे. इसकी एक बड़ी वजह थी कोहली इससे पहले दिल्ली के लिए और नार्थ जोन के लिए घरेलू क्रिकेट में कप्तानी कर चुके थे.

राहुल के साथ नियमित कप्तान की भूमिका का भ्रम ?

केएल राहुल के साथ कई बार आपको इस बात का भ्रम हो सकता है कि वो भी तो नियमित तौर पर कप्तान की भूमिका में नजर आ रहे हैं. दो महीने आईपीएल में राहुल को कप्तानी करते देखते हुए आपको ये लग सकता है कि वो भी एक नियमित कप्तान हैं और भविष्य के कप्तान के तौर पर क्यों नहीं देखे जा सकते हैं. लेकिन, आईपीएल में किसी टीम की कप्तानी करना एक बात है और भारत के लिए कप्तानी करना एक बिलकुल अलग बात. अगर सिर्फ आईपीएल में कप्तानी और वो भी कामयाबीपूर्वक कप्तानी करना एक बड़ी बात होती तो शायद रोहित शर्मा को टीम इंडिया की कप्तानी के लिए इतना इंतजार नहीं करना पड़ता.

आईपीएल में लीडरशीप की बजाए एक बड़ा ब्रांड ज्यादा जरूरी

दरअसल, आईपीएल में तो टीम के मालिकों को किसी खिलाड़ी में लीडरशीप के गुण या फिर कप्तानी के तेवर देखने की खास जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि यहां पर आपको एक बड़ा ब्रांड होना ज्यादा जरूरी होता है. आप टीम इंडिया के स्टार खिलाड़ी है और तीनों फॉर्मेट में खेलते हैं तो आपमें कोई कप्तानी के गुण हो या नहीं, कोई ना कोई टीम आपको ये भूमिका दे देगी. वीरेंद्र सहवाग के साथ ऐसा ही हुआ, 2008 में वीवीएस लक्ष्मण को सिर्फ आइकन होने के चलते ये फायदा मिला, सौरव गांगुली को जबरदस्ती 2 साल कप्तानी कोलकाता नाइट राइडर्स ने दी, कोहली को करीब एक दशक तक बिना ट्रॉफी जीतने के बावजूद बैंगलोर ने झेला.

धोनी, गंभीर और रोहित वाले उदाहरण भारत में कम

आईपीएल में धोनी या फिर गौतम गंभीर और रोहित शर्मा जैसे उदाहरण बहुत कम ही मिलते हैं जहां पर खिलाड़ी को आईपीएल में कप्तानी इस वजह से मिलती है कि उसमें वाकई में वो काबिलियत दिखती है. इसके अपवाद निश्चित तौर पर कभी कभी आपको देखने को मिल जाते हैं जैसा कि कोलकाता ने 2020 और 2021 में ऑयन मार्गन को ये जिम्मेदारी सौंपी. लेकिन, इसके उलट अगर आप देखें तो राजस्थान के लिए संजू सैमसन हों या फिर पंजाब के लिए राहुल , इन खिलाड़ियों को सिर्फ बेहतर विकल्प के अभाव में कप्तानी इसलिए दे दी गयी क्योंकि ये अपनी टीमों के अहम बल्लेबाज है. राहुल तो पंजाब के लिए रन तो बनाते लेकिन उनके रनों से टीम को जीत नहीं मिलती. उल्टे, पिछले दो सीजन में पंजाब ने जितने नजदीकी मुकाबले हारे उसकी कोई मिसाल नहीं है. आपके पास डगआउट में भले ही अनिल कुंबले जैसा शातिर कोच हो लेकिन ताबड़तोड़ टी20 फॉर्मेट में कप्तान को हमेशा मैदान पर हर सेंकेंड अहम फैसले लेने की ज़रुरत पड़ती है जहां पर राहुल नाकाम रहे हैं.

राहुल को कप्तानी देने में चयनकर्ताओं ने आलसी रुख अपनाया?

आईपीएल के मालिकों की इस गलती पर आप बहुत ज्यादा कुछ नहीं कह सकते हैं क्योंकि वो हर फैसले में अपना नफा नुकसान पेशे के आधार पर देखतें है लेकिन चेतन शर्मा और उनके साथी जब टीम इंडिया के भविष्य के लिए भारतीय कप्तान के चयन की बात करतें है तो उन्हें ये भी देखने की जरूरत है कि आखिर राहुल की रणजी टीम कर्नाटक ने उन्हें कभी ये जिम्मेदारी सौंपी भी है या नहीं? अब तक अपने करियर में राहुल को सिर्फ एक फर्स्ट क्लास मैच में कप्तानी करने का अनुभव है और बावजूद इसके भारतीय चयनकर्ताओं ने रोहित शर्मा के अनफिट होने पर तुरंत राहुल को ही वनडे मैच का कप्तान बना दिया. टेस्ट मैच में अगर कोहली अनफिट हुए तो क्या एक मैच के लिए अजिंक्य रहाणे को कप्तानी नहीं दी जा सकती थी क्या? ये दलील उतनी मजबूत नहीं दिखती है कि अगर राहुल को उप-कप्तान बनाया तो उसे ही एक टेस्ट के लिए कप्तानी देनी थी.

आप सभी को याद है ना कि कैसे 2018 के एशिया कप के दौरान एक मैच में रोहित शर्मा और बाकि सीनियर खिलाड़ियों ने आराम किया तो धोनी जैसे पूर्व कप्तान ने एक मैच के लिए ये भूमिका मैदान पर निभायी. वो एक अपवाद वाले हालात थे और इसलिए एक अलग किस्म का फैसला लिया गया. ऐसा टेस्ट सीरीज के दौरान भी रहाणे को कप्तानी देकर किया जा सकता था क्योंकि उसी रहाणे ने सिर्फ 1 साल पहले ही कोहली की गैर-मौजूदगी में युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करते हुए ऑस्ट्रेलिया में 2-1 से सीरीज जीत दिलायी थी.

आईपीएल में ट्रॉफी फिर बदल सकती है राहुल-पंत की दावेदारी?

ये ठीक है वेस्टइंडीज के खिलाफ अगली सीरीज में रोहित शर्मा फिट होकर वापस लौटेंगे और कप्तानी की भूमिका में नजर आएं. मुमकिन ये है कि रोहित को टेस्ट मैचों की भी कप्तानी दी जाए या फिर रविचंद्रन अश्विन को ये मौका मिले. राहुल और ऋषभ पंत को कुछ वक्त और इंतजार करना पड़े भारत की नियमित कप्तानी के लिए. लेकिन अगर दोनों में किसी एक की टीम आईपीएल में ट्रॉफी जीतती है तो फिर कप्तानी की काबिलियत पर चर्चा बंद हो जायेगी और बाजी वही युवा कप्तान मार ले जा सकता है!

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

ब्लॉगर के बारे में

विमल कुमार

विमल कुमार

न्यूज़18 इंडिया के पूर्व स्पोर्ट्स एडिटर विमल कुमार करीब 2 दशक से खेल पत्रकारिता में हैं. Social media(Twitter,Facebook,Instagram) पर @Vimalwa के तौर पर सक्रिय रहने वाले विमल 4 क्रिकेट वर्ल्ड कप और रियो ओलंपिक्स भी कवर कर चुके हैं.

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