अंग्रेजों की नौकरी करने वाले हिंदुस्तानियों ने तिरंगा फहराने को लेकर अपनों को ही मार दी थी गोली..लेकिन नहीं झुका तिरंगा
धर्मवीर बघेल/धौलपुर: देश को आजाद कराने के लिये देश के अनेक लोगों ने अपनी जान कुर्बान की है. इस बलिदान में राजस्थान के धौलपुर जिले के तसीमों गांव के शहीदों का नाम आता है. जिसमें शहीद छत्तर सिंह परमार और शहीद पंचम सिंह कुशवाह जिन्होंने देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी.
राजवीर क्रांति कवि और रामौतार रिटायर फौजी ने लोकल 18 को बताया कि वो दिन था 11 अप्रैल 1947 जब प्रजामंडल के कार्यकर्ता तसीमों गांव में सभा स्थल पर एकत्रित हुये थे तब झंडा फहराने पर रोक थी. लेकिन नीम के पेड़ पर तिरंगा लहरा रहा था और सभा चल रही थी. उसी समय सभा स्थल पर पुलिस के साथ सैंपऊ के तत्कालीन मजिस्ट्रेट शमशेर सिंह, पुलिस उपाधीक्षक गुरुदत्त सिंह और थानेदार अली आजम पहुंचे और वह सब तिरंगे झंडे को उतारने के लिये आगे आए. इस पर प्रजामंडल की सभा में मौजूद ठाकुर छत्तर सिंह सिपाहियों के सामने खड़े हो गए और किसी भी हालत में तिरंगा झंडा नहीं उतारने को कहा. इतने में ही पुलिस ने ठाकुर छत्तर सिंह को गोली मार दी.
इस घटना को देखकर छत्तर सिंह के मित्र पंचम सिंह कुशवाह आगे आये तो पुलिस ने उन्हें भी गोली मार दी. दोनों शहीदों के जमीन पर गिरते ही सभा में मौजूद लोगों ने तिरंगे लगे नीम के पेड़ को चारों ओर से घेर लिया और कहा कि मारो गोली हम सब भारत माता के लिए मरने के लिए तैयार हैं और भारत माता के नाम के जयकारे लगाने लगे. मामला बिगड़ता देख पुलिस पीछे हट गयी.
इसी कारण स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत से तसीमों गांव राजस्थान में ही नहीं बल्कि पूरे भारत वर्ष में इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया, जो कि इतिहास में ‘तसीमों गोली कांड’ के नाम से जाना जाता है. जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए तिरंगे के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी. ऐसे थे धौलपुर के वीर सपूत शहीद छत्तर सिंह परमार और पंचम सिंह कुशवाह.
FIRST PUBLISHED : August 15, 2024, 09:46 IST