Inspiring story groom returned 11 lakh rupees of sagun in jaipur Teeka Bride father gets emotional hug to samadhi rjsr

जयपुर. राजस्थान में शादियों (Wedding Ceremony) में बदलाव की बयार बह रही है. किसी समय शादियों में बढ़ चढ़कर टीका (बतौर शगुन नगदी) देने और लेने का चलन तेजी से बढ़ा था लेकिन अब ढलान पर आने लगा है. विभिन्न समाजों में टीके समेत दहेज (Dowry) को नकारा जाने लगा है. ऐसा ही ताजा उदाहरण राजधानी जयपुर (Jaipur) में देखने को मिला है. यहां आयोजित एक शादी समारोह में दुल्हन के पिता की ओर से दूल्हे को शगुन के तौर पर दिया गया 11 लाख रुपये टीका (Cash) दूल्हे और उसके पिता ने वापस लौटाकर अनुकरणीय उदाहरण पेश किया. दूल्हे शैलेन्द्र सिंह और उसके पिता विजय सिंह राठौड़ के इस फैसले की जमकर सराहना हो रही है. राजस्थान में इससे पहले भी टीके लौटाने के कई उदाहरण सामने चुके हैं.
मूलतया चूरू जिले के किशनपुरा निवासी विजय सिंह राठौड़ जयपुर में रहते हैं और प्रोपर्टी के व्यवसाय से जुड़े हैं. विजय सिंह की पत्नी सुमन शेखावत टीचर हैं. उनके पुत्र शैलेन्द्र सिंह जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में एकाउंटेंट के पद पर कार्यरत हैं. शैलेन्द्र की शादी की हाल ही में 5 फरवरी को जयपुर के जोधपुरा निवासी सुरेन्द्र सिंह शेखावत की पुत्री कंचन शेखावत के साथ हुई है. कंचन हाई क्वालिफाइड है. कंचन एमएससी और बीएड हैं. कंचन ने नेट भी क्लियर किया हुआ है.
सास-ससुर ने बहू को मुंह दिखाई रस्म में दी 11 लाख की कार, दहेज को नकारा, बोले-घर पर लाए हैं बेटी
भावुक होकर दुल्हन के पिता ने समधी को लगाया गले
शादी में दुल्हन के पिता सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने दूल्हे शैलेन्द्र सिंह को बतौर शगुन (टीके) के 11 लाख रुपये भेंट किये. लेकिन दूल्हे और उनके पिता विजय सिंह ने ससम्मान टीका लेने साफ मना कर दिया. दुल्हन को ही दहेज मानते हुये विजय सिंह राठौड़ और उनके पुत्र शैलेन्द्र सिंह ने टीका वापस लौटाकर समाज ने प्ररेणादायक संदेश दिया. उनके इस निर्णय से शादी समारोह में मौजूद लोगों ने उनकी मुक्तकंठ से प्रशंसा की. वहीं दुल्हन के पिता सुरेन्द्र सिंह भी उनके इस निर्णय से भावुक हो गये और समधी को गले लगा लिया.
बाड़मेर और जैसलमेर जैसे जिलों में भी बह रही है बदलाव की बयार
अमूमन राजस्थान में राजपूत समाज में शादियों में टीका एक बड़ा इश्यू होता है. लेकिन पिछले कुछ समय से इसके खिलाफ माहौल बनने लगा है. यहां तक कि पश्चिमी राजस्थान के पिछड़े माने जाने वाले बाड़मेर और जैसलमेर जैसे पंरपराओं से बंधे जिलों में भी टीके को अब ‘ना’ कहा जाने लगा है. बदलाव की यह बयार केवल राजपूत समाज में ही नहीं बल्कि अन्य समाजों में भी तेजी से बह रही है. निश्चित तौर पर यह एक शुभ संकेत है.
बाड़मेर की बेटी ने लड़कियों के छात्रावास को भेंट करा दी थी रकम
वहीं नई पीढ़ी भी शादी के समय होने वाले इस लेनदेन को हेय दृष्टि से देखने लगी है. वे भी अपने दम पर कुछ कर गुजरने का जज्बा रखते हैं. गत दिनों बाड़मेर में राजपूत समाज की एक बेटी ने अपनी शादी में दहेज देने के लिये अपने पिता को साफ मना कर दिया था. उसने देहज में खर्च की जाने वाली रकम को अपने पिता से समाज की लड़कियों के छात्रावास के लिये भेंट करा दिया था.
बहू को मुंह दिखाई में दी 11 लाख की कार
हाल ही में झुंझुनूं में भी एक ऐसा उदाहरण देखने का मिला है. यहां के बुहाना इलाके के खांदवा निवासी रामकिशन ने अपने बेटे की शादी महज एक रुपये और नारियल के शगुन के साथ पूरी की. यही नहीं उल्टे बहू के घर आने पर रामकिशन और उनकी पत्नी कृष्णा देवी ने बहू को मुंह दिखाई में 11 लाख रुपये कीमत की कार गिफ्ट की. खांदवा की यह शादी भी चर्चा का विषय बनी हुई है.
आपके शहर से (जयपुर)
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Jaipur news, Marriage news, Motivational Story, Rajasthan news