Rajasthan

सर्दी बढ़ते ही… धूप सेंकने बाहर निकले मगरमच्छ, लोग कैमरे में कैद कर रहे फोटो, देखें Video

शक्ति सिंह/कोटा. एजुकेशन सिटी कोटा चंबल नदी के किनारे बसा शहर वैसे तो देश-विदेश में शिक्षा की काशी के रूप में विख्यात है. लेकिन कोटा शहर की पहचान मगरमच्छ और देश-विदेश परिंदों के आशियाने के तौर पर भी की जाती है. यहां देशी-विदेशी पक्षी को अपना आशियाना बनाते, प्रजनन करते और अंडे देते हुए आसानी से देखा जा सकता है.

चंबल नदी की सहायक नदियों व तालाब और नहरों से निकलने वाले छोटे-छोटे कैनाल नालों व टापुओं पर मगरमच्छों का स्वच्छंद विचरण कोटा शहर वासियों और पर्यटकों के लिए रोमांच का अनुभव होता है. सर्दियों के मौसम में कोटा के आसपास नदी, नालों, तालाबों, नहरों में रहने वाले सैकड़ों की तादाद में मगरमच्छ इन दिनों पानी से बाहर आकर घंटो धूप सेंकते हुए देखे जा सकते हैं. ऐसे में यहां से गुजरने वाले लोग इन्हें देख रोमांचक अनुभव करते हैं और अपने कैमरे में उनकी फोटो लेते हैं. वीडियो में आप भी देख सकते हैं कि किस तरह से मगरमच्छ चट्टान पर या फिर टापू पर अपना मुंह खोलकर धूप में बैठा हुआ है और शाम होते ही नदी तालाब नहरों की गहराई में चले जाते हैं.

लोग कैमरे में कैद कर रहे तस्वीरें

वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट और फोटोग्राफर आदिल सैफ ने बताया कि मौसम में बदलाव के साथ ही मगरमच्छ अपने शरीर के टेंपरेचर को मेंटेन करते हैं. खासकर सर्दी के दिनों में अक्सर मगरमच्छ पानी से बाहर आकर धूप में बैठे देखे जा सकते हैं. फिर शाम होते ही गहराई में चले जाते हैं. इसके विपरीत गर्मियों में गर्मी से बचने के लिए ये ठंडी व छायादार जगहों पर चले जाते हैं. चंबल नदी, चंद्र लोई नदी, किशोर सागर तालाब और कैनाल, रायपुर का नाले में सुबह से शाम तक सैकड़ों मगरमच्छ धूप सेकते हुए देखे जा सकते हैं. आदिल ने बताया कि सेवन वंडर पार्क में आने वाले पर्यटक बोटिंग के दौरान किशोर सागर तालाब में धूप सेकते हुए मगरमच्छों को देखते हैं और अपने कैमरे में उनकी तस्वीरें कैद करते हैं. किशोर सागर तालाब में इनके खाने के लिए पर्याप्त भोजन मिल जाता है. किशोर सागर तालाब में कई प्रकार की प्रजातियों की मछलियां मौजूद है जिनमें रोहू, कतला, नरेन, डिगल, कैट, कलोट फिश पाई जाती है.

कई दिनों तक नहीं करते शिकार
उन्होंने ने बताया कि मगरमच्छ ठंडे खून वाले जानवर हैं और आर्द्रभूमि के करीब उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में निवास करना पसंद करते हैं. वे स्वयं गर्मी उत्पन्न नहीं कर सकते हैं, इसलिए जब तक मौसम फिर से गर्म नहीं हो जाता तब तक ये निष्क्रिय अवस्था में रहते है और दिन के समय बस धुप सेकते है और इन दिनों ये इसी कारण शिकार भी नहीं करते हैं.

Tags: Kota news, Local18, Rajasthan news

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