ये पेड़ है या चमत्कार! भगवान का रक्षक-किसान मित्र- राजस्थान का गौरव, दाम बादाम से ज्यादा महंगा
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जयपुर ग्रामीण. राजस्थान का जिक्र होता है तो केर सांगरी सबसे पहले याद की जाती है. सांगरी की अपना न्यूट्रिशियस वैल्यू तो हैं ही जिस पेड़ पर ये लगती हैं उसे राजस्थान में कल्पवृक्ष के रूप में पूजा जाता है. इस पेड़ को खेजड़ी कहते हैं. इसे राजस्थान का गौरव कहा जाता है. इस पेड़ की पत्तियां जानवरों के लिए किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं होतीं. इन पत्तियों में प्रचुर मात्रा में पौष्टिक तत्व होते हैं. राजस्थान के लोग इस पेड़ की पत्तियों को बादाम के समान मानते हैं. यह पेड़ राजस्थान के किसानों के लिए जीवन रेखा है.
जंगली पेड़, बादाम की तरह दामखेजड़ी का पेड़ जानवरों को भोजन और आश्रय देता है. इंसानों को फल और पत्तियां. इस पेड़ की जड़ें, तना, छाल,शाखा ,पत्तियां और फल सभी बहुत उपयोगी हैं. इस पेड़ की उपयोगिता का इसी से अंदाज लगाया जा सकता है कि इसकी पत्तियां बादाम के समान कीमती और महंगी होती है.
किसान मित्र-भगवान का रक्षकराजस्थान में इस पेड़ को भगवान के रक्षक का दर्जा प्राप्त है. खेजड़ी पेड़ को किसान मित्र भी कहां जाता है. किसान इस पेड़ को वरदान के समान समझते हैं जो वातावरण संतुलन बनाए रखने में बहुत खास है. यह पेड़ जमीन को उपजाऊ बनाता है.
पांडव और भगवान राम से जुड़े तारशास्त्रों में खेजड़ी के पेड़ को कल्पवृक्ष के समान समझा जाता है. इस वृक्ष की लकड़ियां यज्ञ की समिधा के लिए पवित्र मानी जाती हैं. इतिहास में दर्ज एक प्रसंग के अनुसार ऐसा कहा जाता है पांडवों ने अज्ञातवास के अंतिम वर्ष में गांडीव धनुष इसी पेड़ में छुपाए थे. ऐसा भी जिक्र मिलता है कि भगवान राम ने लंका विजय से पूर्व भगवान इस पेड़ की पूजा की थी.
खेजड़ी होली में भी महत्वपूर्णहोली दहन के समय खेजड़ी के तने को प्रह्लाद का स्वरूप मानते हुए होलिका दहन करते हैं. इस पेड़ के अनेक औषधीय गुण भी हैं. दवाइयां बनाने में इस पेड़ की छाल का उपयोग किया जाता है. राजस्थान सरकार ने खेजड़ी के महत्व को देखते हुए इसे अपना राज्य वर्ष घोषित किया है.
पशुओं के लिए बेहद फायदेमंदखेजड़ी की पत्तियों को राजस्थान में लूंग कहा जाता है. लूंग को पशुओं के लिए पौष्टिक चारा माना जाता है. इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन और ऊर्जा होती है जो पशुओं में रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाता है. लूंग चारा मवेशियों के लिए लाभदायी और गुणकारी होता है. खेतों, चारागाहों में प्राकृतिक रूप से उगी हुयी खेजड़ी की लूंग की कटाई साल में एक बार की जाती है. इसे भेड़-बकरियों के लिए हरे चारे में काम में लिया जाता है. खेजड़ी बकरी, भेड़ और ऊंट के लिए एक महत्वपूर्ण पेड़ है. इसकी पत्तियां मुख्य रूप से दुधारू पशुओं के लिए बादाम से कम नहीं हैं. इस पेड़ की लंबी लंबी फलियों (सांगरी) को लोग बड़े चाव से खाते हैं, क्योंकि यह पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है.
सांगरी के फायदेसांगरी पशुओं के लिए भी स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है. इसमें प्रोटीन और शर्करा होता है. इस पेड़ की पत्तियां काफी महंगी होने के कारण लोग खेजड़ी की व्यावसायिक खेती करने लगे हैं. इससे वर्ष में अलग अलग समय तीन बार लूंग प्राप्त की जा सकती है.
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FIRST PUBLISHED : June 10, 2024, 15:07 IST