Jmc Greater News Mayor Sheel Dhabhai – महापौर का उपयोगी फैसला 72 दिन बाद उप महापौर को लगा अनुउपयोगी

—व्यापारियों का विरोध, भाजपा को सता रहा अपने वोट बैंक का भी खतरा

जयपुर. ग्रेटर नगर निगम में ट्रेड लाइसेंस को लेकर अब सियासत शुरू हो गई है। व्यापारियों के लगातार विरोध के बाद अब ग्रेटर नगर निगम के उप—महापौर पुनीत कर्णावट ने ट्रेड लाइसेंस के नाम पर व्यवसायियों से शुल्क वसूली का आदेश अनुचित और अव्यवहारिक बताया है। हालांकि, ये बात और है कि 24 जून को जब कार्यवाहक महापौर शील धाभाई ने प्रेसवार्ता कर ट्रेड लाइसेंस को उपयोगी बताया था, तब उप महापौर उनके पास ही बैठे थे। उन्होंने भी इसके फायदे गिनाए थे। उन्होंने कहा कि आदेश को सरल व व्यवहारिक बनाने के लिए राज्य सरकार से चर्चा की जाएगी।72 दिन बाद उप महापौर का उपयोगी फैसला अनुउपयोगी लगने लगा। उन्होंने कहा कि ट्रेड लाइसेंस के नाम पर वार्षिक शुल्क वसूलने का फैसला ग्रेटर नगर निगम प्रशासन का नहीं है। इसे राज्य सरकार के आदेश पर लिया गया है। उन्होंने कहा कि व्यापारियों से भी बात की है। सभी से बात करने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
इसलिए बैकफुट पर भाजपा
—ग्रेटर नगर निगम में भाजपा का बोर्ड है। 150 में से 88 पार्षद जीतकर आए हैं। अधिकतर दबी जुबां इसका विरोध कर रहे हैं। पार्षदों से संगठन से लेकर, उप—महापौर और अपने—अपने विधायकों के पास आपत्ति जताई है।
—ग्रेटर निगम सीमा क्षेत्र में आने वाले पांच विधानसभा क्षेत्रों में मालवीय नगर, सांगानेर और विद्याधर नगर में भाजपा के विधायक हैं। ऐसे में तीनों जगह विधायकों को भी विरोध के बाद चिंता सता रही है।
—ग्रेटर नगर निगम में 75 हजार से अधिक व्यापारी हैं। अधिकतर भाजपा का वोट बैंक है। कोरोना में ज्यादा सहूलियत नहीं मिली और निगम की ओर से नई नीति लागू कर वसूली से वोट बैंक के नाराज होने डर लग रहा है।
सौम्या की ना, शील की हां
—राज्य सरकार ने इन ट्रेड लाइसेंस को गजट में भी नॉटीफाई कर दिया गया। हालांकि, उस समय महापौर सौम्या गुर्जर ने इनको लागू करने से मना कर दिया।
—इसके बाद राजनीतिक हालात बदले और राज्य सरकार के सहयोग से शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर बनीं। उन्होंने 24 जून को ट्रेड लाइसेंस लागू करने की सहमति दे दी।