Rajasthan

असरदार है पुराने समय की तकनीक, न प्लास्टिक, न बिजली, कपड़े की यह थैली ही हैं वाटर कूलर  – हिंदी

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पुराने समय में जब न तो प्लास्टिक की बोतलें थीं और न ही स्टील की थर्मल फ्लास्क, तब गांवों के लोग पानी ले जाने के लिए सूत (कपास) के कपड़े से बनी थैलियों, बोतलों और डब्बेनुमा गैलनों का इस्तेमाल करते थे. यह देसी जलपात्र मोटे सूती कपड़े की कई परतों को जोड़कर बनाए जाते थे, जिनमें भीतर पानी भरने के बाद उन्हें बाहर से गीला रखा जाता था. गर्मी के मौसम में कपड़े की परतों से होने वाला वाष्पीकरण पानी को स्वाभाविक रूप से ठंडा बनाए रखता था, जिससे प्यास बुझाने पर ताजगी महसूस होती थी. 

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