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जयपुर. राजस्थान के जयपुर में हुए टैंकर ब्लास्ट की घटना में लगातार मृतकों की संख्या बढ़ती जा रही है. इस घटना में अब तक 14 लोगों की जान चली गई है और घटना के 24 घंटे बाद भी शवों की पहचान नहीं हो पा रही है. घटना में घायल हुए लोगों में 10 से ज्यादा लोगों की हालत बेहद नाज़ुक है, जिन्हें ICU में शिफ्ट किया गया है. घटना के बाद से ही जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में अपनों से मिलने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी रही है.
टैंकर ब्लास्ट की घटना में राजस्थान ही नहीं अन्य राज्यों के लोग भी घायल हुए हैं, जिनके परिजन घटना के बाद जानकारी मिलते ही सैकड़ों किलोमीटर का सफ़र तय कर सवाई मानसिंह अस्पताल पहुंचे गए. टैंकर ब्लास्ट की घटना में ऐसे कई मरीज हैं, जिनके परिवार का दर्द सबसे ज्यादा दुखदाई है. सवाई मानसिंह अस्पताल के इमरजेंसी में बने बर्न वार्ड के बाहर ऐसे कई परिजन हैं, जिनके परिवार का इकलोता सहारे घटना में घायल हुए हैं. बर्न वार्ड के बाहर पूरी रात से लोग अपनो से मिलने के इंतजार में बैठे हैं, लेकिन ज्यादा गंभीर घायलों को मिलने की अनुमति नहीं है.
परिवार का एकमात्र सहारा है घायल नरेश
जयपुर टैंकर ब्लास्ट में ऐसे कई लोग हैं, जो अपने परिवार का एकमात्र सहारा थे. उन्हीं की वजह से परिवार की गाड़ी पटरी पर दौड़ रही थी. लेकिन, ब्लास्ट की घटना के बाद उनके परिजनों पर जो बीत रही है, वह दर्द किसी प्रलय से कम नहीं है. टैंकर ब्लास्ट की घटना में घायल नरेश कुमार उत्तर प्रदेश के एटा जिले के रहने वाले हैं. घटना का पता चलते ही उनके परिवार के लोग आनन-फानन में जयपुर पहुंचे. नरेश कुमार के परिवार के सदस्य बताते हैं कि नरेश जयपुर में कुछ सालों से कोरियर कंपनी में काम कर रहा है, जिससे उसके परिवार का पालन-पोषण होता है. उसके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं और परिवार में सिर्फ एक भाई है, जो पहले ही सड़क दुघर्टना में दिव्यांग हो चुका है. सुमन देवी बताती हैं कि पूरे परिवार की जिम्मेदारी नरेश कुमार सभांलता था, लेकिन अब उनके परिवार के जीवन-यापन करने पर संकट आ गया हैं. घटना में नरेश कुमार 70 फीसदी से अधिक जख्मी हुआ है, जिन्हें परिवार से मिलने की अनुमति भी नहीं हैं.
बर्न वार्ड के बाहर दुख में है हर परिवार
घटना के बाद से जयपुर सवाई मानसिंह अस्पताल में लोग अपनों का पता लगाकर यहां तक पहुंचे हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या अधिक है. बर्न वार्ड के बाहर परिजन सिर्फ बैठे हैं. उन्हें नाा तो मिलने की अनुमति है और ना ही छोड़कर कहीं जा सकते हैं. बर्न वार्ड के बाहर बैठे लोगों में सबसे ज्यादा वैसे लोग घायल हुए हैं, जो अपने कामकाज के लिए जा रहे थे. सुमन देवी बताती हैं कि नरेश जयपुर में कोरियर लेकर आ रहे थे. उसी समय सुबह उनके पास घटना की सूचना मिली, जिसके बाद वह जयपुर पहुंचे. बर्न वार्ड के बाहर ऐसे कई दर्दनाक परिवारों की कहानियां है, जिन्हें लोग बताते की स्थिति में भी नहीं हैं. फिलहाल बर्न वार्ड में सभी मरीजों का स्पेशल टीम इलाज कर रही है और सभी परिजन अपनो से मिलने का इंतजार कर रहें हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 21, 2024, 16:10 IST