Jaipur News: अनोखे शिल्प से बनी राजस्थानी मोचड़िया, हर जोड़ी में कारीगर का जादू

जयपुर. राजस्थान के कई कारीगर अपनी हस्तकला से पहचान बनाए हुए हैं, और ऐसा ही एक कारीगर है जयपुर जिले के किशनगढ़ रेनवाल का मुकेश कुमार. मुकेश देशी चमड़े से बनी खास राजस्थानी मोचड़ियां तैयार करते हैं, जो पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए किसी केमिकल का उपयोग नहीं करतीं. उनकी देसी मोचड़ियों की दूर-दूर तक मांग रहती है. मुकेश बताते हैं कि उनके दादा और पिता भी यह पारंपरिक कला वर्षों से करते आ रहे हैं, और वे स्वयं भी पिछले 30 वर्षों से यह काम कर रहे हैं.
मुकेश कुमार के अनुसार, मोचड़ी बनाने की प्रक्रिया काफी अनोखी है. सबसे पहले बिना केमिकल के देसी चमड़े को तैयार किया जाता है, जो मोचड़ी के निर्माण का आधार है. फिर पैर के आकार के अनुसार डाई का उपयोग कर मोचड़ी का ऊपरी हिस्सा बनाया जाता है. इसके बाद, निचले हिस्से के लिए छोटी-छोटी परतों को जोड़कर विशेष धागे से सिलाई की जाती है. ऊपरी और निचले हिस्से को जोड़ने के बाद लकड़ी के कालबूत से आकार में फिट किया जाता है. अंत में, सिलाई के अनावश्यक धागों और अतिरिक्त चमड़े के हिस्सों को काटकर अंतिम रूप दिया जाता है. देसी मोचड़ियां साधारण होती हैं, लेकिन किफायती और टिकाऊ होती हैं.
बाजार में मोचड़ियों की भारी मांगमुकेश बताते हैं कि वर्तमान में केमिकल वाले चमड़े की चमकीली मोचड़ियों की अधिक मांग है, क्योंकि ये सस्ती होती हैं. इसके विपरीत, देसी चमड़े की मोचड़ियां लंबे समय तक चलती हैं, लेकिन महंगी होने के कारण इनकी मांग में कमी आई है. राजस्थान में देसी मोचड़ियों की कीमत 1500 से 2500 रुपये तक होती है, और इनकी खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बनी रहती है.
मुकेश की बनाई मोचड़ियां अजमेर, श्रीमाधोपुर, कोटा, जयपुर, अलवर, और नागौर के कई जिलों में भी लोकप्रिय हैं.मुकेश कुमार जैसे कारीगरों का यह कार्य न केवल राजस्थानी कला को संजोए हुए है, बल्कि पर्यावरण अनुकूलता और टिकाऊपन का भी संदेश दे रहा है.
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FIRST PUBLISHED : November 4, 2024, 15:01 IST