Jaipur News : कभी नहीं सूखता इस तलाई का पानी, बरसों से बुझा रही लोगों की प्यास, पुराने समय में थी लोगों का सहारा

जयपुर. राजस्थान में आज भी ऐसी अनेक जगह हैं जहां पर लोग पानी के कुआं और तलाई पर निर्भर हैं. जयपुर ग्रामीण में भी एक ऐसी तालाब है जो कभी भी नहीं सूखता है. 12 महीने यह तालाब लोगों की प्यास बुझाता है. इस तालाब को गंगासागर तलाई के नाम से जाना जाता रहा है, यह तलाई किसी आश्चर्य से कम नहीं है.
स्थानीय लोगों ने बताया कि एक दौर में रेगिस्तानी क्षेत्र के लोग जब जयपुर राजधानी की यात्रा पर इस मार्ग से जाते थे तो इस उम्मीद से यहां ठहरते थे कि यहां उन्हें पीने के लिए पानी मिलेगा. उस समय किशनगढ़ रेनवाल के समीप बांसडी गांव चारागाह किनारे स्थित चीलवाली तलाई गंगा सागर का क्षेत्र एक दौर में बहुत खास स्थल रहा था. यही पर गंगासागर तलाई अभी भी बनी हुई है.
कभी नहीं सूखता गंगा सागर तलाई का पानी स्थानीय लोगों ने बताया कि गंगासागर तलाई का पानी कभी नहीं सूखता है, आसपास के गांवों के लोग आज भी पीने के लिए पानी लेकर जाते हैं. गंगासागर तलाई के नजदीक ही चीलवाली पवित्र पर्यटन स्थल विकसित किया गया है. यहां संतों की समाधि पगलिया व नवरत्न बालाजी मंदिर सहित कई सुंदर स्थल मौजूद है.
बहुत खास है यह छतरियांचीलवाली तलाई के नाम से प्रसिद्ध इस सुंदर बगीची में के किनारे द्वारका प्रसाद स्वामी ने प्याऊ का निर्माण कराया जो राहगीरों की प्यास बुझती है, बदलते दौर में अब यह प्याऊ की जगह नल लगा चुका है. इसके अलावा पशुओं के लिए आज भी होद बना हुआ है जहां पर पशु आकर पानी पीते हैं. चीलवाली बगीची में स्थित स्वामी हनुमान दास व द्वारका दास संत की पगलिया वाली छतरियां बहुत प्रसिद्ध है. क्षेत्र में यह स्थल पर्यटन स्थल के तौर पर पहचाना जाता है. यहां दुरदराज से लोग आते हैं यह बहुत सुंदर व रमणीय स्थल है.
नवरत्न बालाजी का भी है मंदिरचीलवाली तलाई के एक हिस्से में नवरत्न बालाजी मंदिर भी बना हुआ है. मंदिर का निर्माण नवरत्न तोतला ने कराया. यहां मंगलवार व शनिवार को भक्तों का ताता लगा रहता है. मंदिर को लेकर क्षेत्र के लोगों में मान्यता है कि यहां पर हर मनोकामना पूर्ण होती है. मंदिर में दर्शन करने आए वक्त रामलाल ने बताया कि इस मंदिर में नारियल का भोग लगाने पर भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. इसके अलावा भक्त मन्नत का नारियल बोलकर भी जाते हैं जिसे पूरे होने के बाद आकर मंदिर में चढ़ाना पड़ता है.
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FIRST PUBLISHED : October 18, 2024, 18:40 IST