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Jambu plant amazing benefits help to relieving the pain from periods Relief in diabetes and constipation also – News18 हिंदी

कमल पिमोली/श्रीनगर गढ़वाल: उत्तराखंड में जड़ी बूटियों का भंडार है. यहां कई ऐसी औषधीय जड़ी-बूटियां मिलती हैं, जो व्यक्ति को तंदूरूस्त बनाने के साथ निरोग भी बनाती हैं. यहां मिलने वाले औषधीय पौधों में मेडिसिनल गुण पाए जाते हैं. ऐसे ही जड़ी-बूटी में से एक है जंबू (Jambu Medicinal Benifits). जंबू प्याज के परिवार से आने वाला एक पौधा है. यह एक ऐसा हर्ब है, जो कई बीमारियों को दूर करता है. तो वहीं महिला संबंधी रोगों में ये रामबाण है. पीरीएडस का दर्द हो या फिर प्रसव के दौरान होने वाला दर्द, दोनों को कम करने में इसका उपयोग किया जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम Allium stracheyi है. इसे Jambu/faran/Jimbu के नाम से भी जाना जाता है. भारत के उच्च हिमालयी राज्यों के अलावा नेपाल, भूटान में भी यह पाया जाता है.

हिमालयी राज्यों में जंबू का पौध देखने को मिल जाता है. इसको कई इलाकों में फरण के नाम से भी जाना जाता है. इसे गरीबों का तड़का भी कहा जाता है. क्योंकि, इसका प्रयोग तड़के के रूप में खाने में किया जाता है.

महिला संबधी रोगों में कारगर
उच्च हिमालयी पादप कारी की शोध केंद्र (हेप्रेक) के डॉ अभिषेक जमलोकी जानकारी देते हुए बताते हैं कि हिमालयी क्षेत्रों में कई प्रकार के सघन पादप मिलते हैं. इनका प्रयोग प्राचीन समय से ही रोगों से लड़ने व शरीर को स्वस्थय रखने के लिए किया जाता है. उत्तराखंड के उच्च हिमालयी इलाकों में पाया जाने वाला जम्बू/फरण में कई मेडिसिनल गुण पाए जाते हैं. यह पौधा महिलाओं में होने वाली विभिन्न बीमारियों में उपयोगी है. डॉ जमलोकी बताते हैं कि मासिक धर्म, प्रसव पीड़ा को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है. इसके साथ ही एक अन्य बीमारी जिसे ल्यूकोरिआ के नाम से जाना जाता है. इसमें भी जंबू कारगर है.

डायबिटीज, कब्ज में रामबाण
आगे बताते हैं कि पेट से संबंधित विभिन्न बीमारियों में भी जंबू का प्रयोग किया जाता है. यह अपच, कब्ज, गैस, डायबिटीज, मधुमेह जैसे बीमारी में भी कारगर साबित है. जंबू में 4.26 प्रतिशत प्रोटीन, 0.1 प्रतिशत वसा, 79.02 प्रतिशत फाइबर समेत कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम और पोटेशियम की मात्रा पाई जाती है. साथ ही जंबू की पत्तियों को सूखाकर इसका उपयोग दाल, सब्जी में तड़के के रूप में किया जाता है. यह खाने के स्वाद को बढ़ा देता है.

जंबू कृषिकरण के लिए हेप्रेक कर रहा कार्य
इस पौधे की अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी डिमांड है, जिसके कारण तेजी से जंबू का दोहन हो रहा है. यही कारण है कि अब बहुत कम स्थानों पर जंबू अथवा फरण के पौधे देखने को मिलते हैं. ऐसे में किसान अगर जंबू के पौधे को खेती के रूप में प्रयोग में लाए तो इससे उनकी आर्थिकी मजबूत होगी व पौधा भी संरक्षित हो पाएगा. डॉ जमलोकी बताते हैं कि उच्च शिखरीय पादप कार की शोध केन्द्र के निदेशक प्रो वीके पुरोहित के मार्गदर्शन में जंबू के पौध को संरक्षित करने के साथ कृषिकरण के क्षेत्र में कार्य किया जा रहा है. इसमें हेप्रेक को सफलता भी मिली है.

Tags: Local18, Pauri Garhwal News

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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