Jewelery market: कमजोर बिक्री की आंच में पिघलाने लगे गहने
मंदी की आंच झेल रहे आभूषण निर्माताओं ने अपने पास जमा गहनों का भंडार कम करने के लिए उन्हें पिघलाना शुरू कर दिया है। अभी तक ज्वैलर्स ग्राहकों से मिले पुराने गहने ही गलाते थे, मगर अब नए गहनों को भी पिघलाने के हालात हो गए हैं। कमजोर बिक्री का असर इतना ज्यादा है कि गहने बनाने में आए गढ़ाई के खर्च को भी खुद ही वहन कर रहे है। कई आभूषण निर्माता ग्राहकों की पसंद के मुताबिक अलग-अलग तरह के गहने लंबे समय तक अपने पास रखते थे, लेकिन बिक्री नहीं होने की वजह से अब उन्हें लंबे समय तक रखना मुश्किल हो गया है। जयपुर सर्राफा ट्रेडर्स कमेटी के अध्यक्ष कैलाश मित्तल ने बताया कि पिघलाने के सोने का दो तरह का कबाड़ आ रहा है। पहले केवल पुराने गहने ही पिघलाए जाते थे, मगर अब कई आभूषण निर्माताओं ने गहनों का नया स्टॉक भी पिघलाना शुरू कर दिया है। पहले कम मात्रा में गहने पिघलाए जाते थे, इसलिए दुकानों और आसपास के केंद्रों में ही पुराना सोना पिघला दिया जाता था। मगर अब पिघलाने का काम इतने बड़े स्तर पर हो रहा है कि उन्हें गोल्ड रिफाइनरियों में भेजा जा रहा है।
सर्राफा बाजार से अब भी दूर है निवेशक
ग्राहकों ने सर्राफा बाजार से दूरी ही बना ली है और जो लोग आ रहे हैं वे भी सिर्फ जरूरत की खरीदारी कर रहे हैं। सराफों और आभूषण निर्माताओं के पास पहले ही अच्छा खासा स्टॉक था और शादी-ब्याह के सीजन की आस में उन्होंने गहने बनाने के लिए अच्छा खासा स्वर्ण ऋण भी लिया था। इसके ब्याज का बोझ उन्हें परेशान कर रहा है। इसीलिए छोटे सराफ ही नहीं बड़ी संगठित आभूषण शृंखलाएं भी पुराने गहने बेच रही हैं।बड़ी आभूषण शृंखलाएं पहले ही कम गहने रखने लगी है। उनके लिए सहूलियत यह थी कि एक स्टोर पर कोई खास डिजाइन नहीं होने पर वे दूसरे स्टोर से मंगा लिया करते है। मगर छोटे सर्राफा स्टोर वालों के पास यह सुविधा नहीं होती और उन्हें भारी मात्रा में गहने रखने पड़ते हैं। ऐसे सराफों ने जरूरत से ज्यादा गहनों को पिघलाने का काम शुरू कर दिया है।