Rajasthan

50 डिग्री तापमान में भी ठंडक का अहसास कराएंगे झोपे, इनके सामने एसी भी फेल, ठेठ देसी चीजों से होते हैं तैयार

बाड़मेर. नौतपा कहर बरपा रहा है. कुछ इलाकों को छोड़ दें तो बाकी पूरे देश में भीषण गर्मी पड़ रही है. लोग इससे बचने के लिए तरह तरह के उपाय कर रहे हैं. लेकिन देश में सबसे ज्यादा तपने वाला रेगिस्तानी इलाका राजस्थान में एक देसी उपाय एसी से भी ज्यादा मजा दे रहा है. ये ठेठ देसी उपाय ठेठ देसी लोगों का ही बनाया हुआ है.

भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर-जैसलमेर के रेगिस्तानी गांव में आपको जगह जगह ये झोपड़ी नुमा कमरे बने दिखाई दे जाएंगे. इसे लोकल लोग झोपा कहते हैं. आग बरसाती इस गर्मी में जब पारा 50 छू रहा है ये देसी झोपे लोगों के लिए राहत का ठिकाना बने हुए हैं. रेगिस्तानी इलाको में बहुतायत में पाए जाने वाले इन झोपों में कोई आधुनिक चीजों का नहीं बल्कि खीप,गोबर और रोहिड़े की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. इन झोपड़ों में देशज ज्ञान का उपयोग किया जाता है जिससे भरी गर्मी में भी इसके अंदर का तापमान बेहद कम रहता है. इनकी खासियत ये रहती है कि झोपे गर्मी में ठंडे और ठंड में गर्म रहते हैं.

कम खर्च में बेहतरीन झोपाबाड़मेर- जैसलमेर के सीमावर्ती गांवो में उतारा, गुडाल, पड़वा,कोटड़ी,पोळ और चोंरे के नाम से पहचाने जाने वाले इन झोपों के निर्माण में एक भी सामान बाहर से नहीं लिया जाता. ग्रामीण क्षेत्र के स्थानीय उत्पादों से बनने वाले झोंपे बेहद कम खर्च में तैयार हो जाते हैं. यही वजह है कि पक्के घरों में भी एक झोंपा जरूर बनाया जाता है.

ठंडा ठंडा कूल कूलरेतीले धोरों के बीच यह झोंपा अलग ही सुकून देता है. सर्दियों में जब तापमान 7-8 डिग्री रहता है तब यह झोंपा अंदर से बहुत गर्म रहता है. जबकि गर्मियों में जब 50 डिग्री तक तापमान पहुंच जाए तो यह झोपा एयरकंडीशनर की तरह ठंडा रहता है. ढंगारी गांव के बुजुर्ग फोटाराम बताते हैं गर्मियों में झोपा पक्के मकान की तुलना में ठंडे रहते हैं. इसमें बिना किसी कूलर या एसी के रहना बहुत ही आरामदायक और सुकूनभरा होता है. इसे घासफूस से सजाया जाता है जिससे झोंपे में हवा आती रहती है.

गर्मी में ठंडा,सर्दी में गर्मगांव के अन्य बुजुर्ग बताते हैं झोपा बनाने में काफी मेहनत लगती है. इसे खेत से घासफूस और लकड़ियां इकट्टी कर बनाया जाता है. फिर इसे परंपरागत शैली से सजाया जाता है. यह गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म रहता है. इसलिए ग्रामीण इलाकों में यह बहुतायत संख्या में बनाए गए हैं. रेगिस्तानी धोरों के बीच बने तरह-तरह के झोंपे आकर्षित करते हैं. पाकिस्तान से सटे सरहदी क्षेत्रो में बनाए गए सिन्धशैली के अनूठे झौंपे मरुस्थल की जीवनशैली को दर्शाते हैं. थार के रेगिस्तान में पड़ रही भीषण गर्मी हो या सर्दी का मुंहतोड़ जवाब यह देशी झौंपे देते हैं.

Tags: Barmer news, Local18

FIRST PUBLISHED : May 29, 2024, 15:02 IST

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