Jhunjhunu News : यह एकमात्र मंदिर जहां पर सूर्य भगवान सपत्नी विराजमान, अस्थियां विसर्जन के बाद गलने की मान्यता

रविंद्र कुमार/झुंझुनूं. झुंझुनूं से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक ऐसी जगह जहां पहुंचने पर आपको सिर्फ चारों और पहाड़ियां और पहाड़ियों में स्थित मंदिर और धर्मशाला नजर आएंगी. यह देवस्थान काफी प्राचीन समय का देवस्थान बताया जाता है. माना जाता है कि विष्णु जी ने धरती पर जो अवतार लिया था वह सबसे पहले इसी जगह पर लिया था. यह भी माना जाता है कि परशुराम जी के द्वारा यहां पर यज्ञ भी करवाया गया था और उसके बाद महाभारत काल में पांडवों के अस्त्र भी इसी जगह पर गले थे.
यहां से प्रवाहित होती हैं 7 धाराएं
आज भी मान्यता है कि जिस प्रकार अस्थियां गंगा में प्रवाहित करने पर व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है. उसी प्रकार लोहार्गल में मृत व्यक्ति की अस्थियां विसर्जन करने पर वह अस्थियां बहाये हुए पानी में गल जाती हैं. सावन पर हर दिन यहां पर लोग स्नान करनेऔर दान पुण्य करने आते हैं. यहां पर 24 कोसी परिक्रमा होती है. इन पहाड़ों के नीचे स्थित ब्रह्मकुंड के चारों ओरयह परिक्रमा होती है. अभी भी यहां पर 7 धाराएं प्रवाहित होती हैं.
मंदिर में सेवादार सांवरमल ने बताया कि पूरे विश्व में 44 सूर्य भगवान के मंदिर हैं. उनमें से एकमात्र यह मंदिर है जिसमें सूर्य भगवान अपनी पत्नी के साथ में विराजमान है. बाकी अन्य सभी जगहों पर सूर्य भगवान अकेले तेजस्वीरूप में वहां पर विराजमानहैं.उन्होंने बताया कि इसके बाद महाभारत की युद्ध के बाद में पांडव प्रेषित करने के लिए भ्रमण कर रहे थेवह भी वहां पहुंचे. इससे पहले भी पांडव अज्ञातवास काटने के लिए भी इस जगह पर आए थे. लेकिन पांडव जब युद्ध के बाद में वह इस जगह पहुंचे तो एक कुंड में उनकी शस्त्र गल गई. जिस के बाद उस का नाम भीम कुंड रख दिया.
इस जगह पर सूर्य हैं प्रधान देवता
लोहार्गल के प्रधान देवता सूर्य हैं. शिव मंदिर औरसूर्य मंदिर के बीच एक कुंड है जिसे सूर्य कुंड कहते हैं.यहां कुंड के पास महाराज युधिष्ठिर द्वारा स्थापित शिव मंदिर है. सूर्य कुंड में स्नान औरसूर्यदेव के पूजन के बाद भक्त लोहार्गल परिक्रमा शुरू करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 19, 2023, 18:59 IST