State Bank of India: Rs 1283 crore stuck in 50 thousand NPA accounts
भारतीय रिजर्व बैंक (SBI) ने संभावना जताई है कि अगर व्यापक स्तर पर आर्थिक माहौल बिगड़ता है तो खराब ऋणों या फंसे हुए कर्ज का अनुपात बढ़ सकता है। देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का नॉन-परफॉर्मिंग एसेट एक लाख करोड़ के पार है, अगर राजस्थान यानी एसबीआई के जयपुर मंडल की बात करे, तो 2021-22 में यहां कुल एनपीए खाते 50 हजार के पार हैं और राशि 1283 करोड़ रुपए है। हालांकि इस दौरान एसबीआई जयपुर मंडल ने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) और स्पॉन्सरशिप्स के बजट को साल-दर-साल बढ़ाया है।
सीएसआर-स्पॉन्सरशिप्स का बजट लगातार बढ़ाया
बैंकिंग सूत्रों के अनुसार राजस्थान में एसबीआई के एनपीए खाते भले ही 50,683 हो गए हैं, लेकिन सीएसआर-स्पॉन्सरशिप्स के बजट में बैंक ने अच्छी-खासी बढ़ोतरी की है। वर्ष 2020-21 में बैंक ने सीएसआर के पेटे 1,46,91,409 रुपए खर्च किए, जो 2021-22 में 1,94,07,590 रुपए हो गए। इसी तरह स्पॉन्सरशिप गतिविधियों में भी 2020-21 के 9,35,000 रुपए के मुकाबले 2021-2022 में 16,75,000 रुपए खर्च किए हैं। हालांकि सीएसआर पर एक निश्चित रकम खर्च करना एक कानूनी प्रक्रिया है, लेकिन स्पॉन्सरशिप्स लगातार बढ़ता खर्च समझ से परे है।
स्थिति बिगड़ी तो एनपीए भी बिगड़ेगा: आरबीआई
आरबीआइ ने हाल ही में अपनी 25वीं वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा कि व्यापक पैमाने पर स्थिति के बिगड़ने पर बैंकों का सकल एनपीए 6.2 प्रतिशत से बढ़कर 8.3 प्रतिशत तक भी पहुंच सकता है। हालांक रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा है कि भारतीय की अर्थव्यवस्था रिकवरी की राह पर है, लेकिन महंगाई का दबाव बना हुआ है। बाहरी फैक्टर्स और जिओपॉलिटिकल जोखिमों पर करीब से नजर रखने की जरूरत है।
कर्ज वसूली पर ध्यान नहीं: डेलायट
दरअसल, बड़े लेनदार, बैंक अधिकारियों या कभी-कभी तीसरे पक्ष जैसे कि वकीलों या चार्टर्ड अकाउंटेंट तक के साथ साठगांठ कर लेते है और इसके बाद जालसाजी का खेल अंजाम दिया जाता है। आए दिन कोई न कोई बैंक घोटाला खबरों में आता ही रहता है। यहीं घोटाले बैंकों के लिए एनपीए की आफत बढ़ा रहे हैं। डेलायट द्वारा कराए गए एक सर्वे में सामने आया कि 40 प्रतिशत एनपीए इसलिए हो रहे हैं, क्योंकि कर्ज देने के बाद उनकी वसूली पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।