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Kanhaiya Lal Meena not contest Big relief for Rajasthan BJP Dhariyawad bypolls

धरियावद से भाजपा के लिए राहत की खबर आ सकती है.

धरियावद से भाजपा के लिए राहत की खबर आ सकती है.

Dhariyawad Bypolls: बागी होकर नामांकन दाखिल करने वाले कन्हैयालाल मीणा के तेवर नरम पड़े हैं. पार्टी नेताओं की समझाइश के बाद माना जा रहा है कि वो नामांकन वापस ले लेंगे लेकिन जब तक नाम वापस नहीं ले लेते, बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की बेचैनी बरकरार रहेगी.

धरियावद. धरियावद से भाजपा के लिए राहत की खबर आ सकती है. बागी होकर नामांकन दाखिल करने वाले कन्हैयालाल मीणा के तेवर नरम पड़े हैं. पार्टी नेताओं की समझाइश के बाद माना जा रहा है कि वो नामांकन वापस ले लेंगे लेकिन जब तक नाम वापस नहीं ले लेते, बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की बेचैनी बरकरार रहेगी. कन्हैयालाल मीणा के मान-मनोव्वल का दौर जारी है. प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने मनाने के लिए जी तोड़ कोशिश की है. धरियावद के प्रभारी राजेन्द्र राठौड़ दिन रात कन्हैयालाल को मनाने में एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं. बात कुछ बनती भी दिख रही है. पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कन्हैया से बालहठ छोड़ने की गुहार की है. भाजपा के उम्मीदवार खेत सिंह मीणा को भी उम्मीद है कि कन्हैया मान ही जाएंगे, तभी उनकी नाव मझधार से बाहर निकलेगी.

भाजपा प्रत्याशी खेत सिंह मीणा सरपंच संघ के अध्यक्ष रहे हैं. आरएसएस के जमीनी कार्यकर्ता हैं. गरीब घर से आते हैं. अब भी घर केलू का बना हुआ बताते हैं. जब पार्टी ने टिकट का बंटवारा करते वक्त ये लकीर खींची कि किसी भी दिवंगत विधायक के परिजनों को टिकट नहीं मिलेगा तो कन्हैया की दावेदारी खारिज हो गई. गुस्साये कन्हैया ने समर्थकों के दबाव में नामांकन भर दिया. पहले भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर बाद में बागी हेाकर निर्दलीय के रूप में. पिछले तीन दिन में कन्हैया को मनाने में भाजपा ने कोई कमी नहीं छोड़ी. उनसे भविष्य में टिकट देने का वादा किया गया है. प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया खुद कई दफा कन्हैया से बात कर चुके हैं. लगता है कन्हैया का गुस्सा पिघल रहा है और पार्टी के प्रति उनका प्रेम फिर हिलोरें मारने के इंतजार में हैं.

कन्हैयालाल मीणा अगर मानेंगे तो सिर्फ 2023 में टिकट की गारंटी पर लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए, पता नहीं. ये जरूर है कि कन्हैया के मैदान में रहते भाजपा के लिए मुश्किलों का पहाड़ खड़ा है. कन्हैया के मैदान से हटते ही पार्टी सीधे कांग्रेस से मुकाबले में तो आ जाएगी लेकिन खेत सिंह मीणा जीतेंगे तब ही जब पूरी पार्टी एक होकर चुनाव लड़ेगी. सहानुभूति खेत सिंह मीणा के साथ नहीं बल्कि नगराज मीणा के साथ दिखाई पड़ रही है जो लगातार दो हार के बाद तीसरी बार जनता से जिताने की गुहार कर रहे हैं.

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