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Kerala Police Appeals Govt To Bancirculation Of Mashari Al Ashwaq Book – केरल पुलिस ने राज्य सरकार से की अपील, “बुक ऑफ जिहाद” को बैन किया जाए

यह पुस्तक 14वीं सदी में सऊदी अरब में लिखी गई थी, इस पुस्तक को “बुक ऑफ जिहाद” भी कहा जाता है। केरल पुलिस ने कहा है कि इस पुस्तक का प्रयोग युवाओं को प्रेरित कर इस्लामिक स्टेट जैसे खतरनाक आतंकी संगठनों में जाने के लिए फुसलाया जा रहा है।

नई दिल्ली। केरल पुलिस ने राज्य सरकार से एक पुस्तक माशारी अल अश्वाक इला मासाी अल उसहाक पर बैन लगाने की अपील की है। यह पुस्तक 14वीं सदी में सऊदी अरब में लिखी गई थी, इस पुस्तक को “बुक ऑफ जिहाद” भी कहा जाता है। केरल पुलिस ने कहा है कि इस पुस्तक का प्रयोग युवाओं को प्रेरित कर इस्लामिक स्टेट जैसे खतरनाक आतंकी संगठनों में जाने के लिए फुसलाया जा रहा है। पुलिस की इस अपील को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने इस पुस्तक के कंटेंट की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है।

राज्य सरकार द्वारा गठित की गई इस कमेटी की अध्यक्षता पीआरडी डायरेक्टर एस. हरिकिशोर करेंगे जबकि कमेटी के अन्य दो सदस्यों में इंटरनल सिक्योरिटी आईजी जी. स्पर्जन कुमार तथा नेशनल यूनिवर्सिटी फॉर एडवांस्ड लीगल स्टडीज के भूतपूर्व वाइस-चांसलर एन. के. जयकुमार शामिल हैं। इस पुस्तक को बैन करने के लिए गत वर्ष राज्य पुलिस के पूर्व चीफ लोकनाथ बेहरा ने सिफारिश की थी जबकि इस वर्ष भी पुलिस चीफ अनिल कांत ने सिफारिश की थी।

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राज्य सरकार को भेजी गई अपनी सिफारिश में इन दोनों ही अफसरों ने लिखा था कि यह पुस्तक कट्टरपंथी कंटेंट रखती हैं तथा युवाओं को कट्टरवादी बना रही है। सिफारिश में कहा गया था कि इस किताब का प्रयोग कर युवाओं को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए उकसाया जा रहा है।

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उल्लेखनीय है कि माशारी अल अश्वाक का मध्यकाल में अहमद इब्राहीम मुहम्मद अल दिमाश्की अल दुमयती (जिसे इब्न नुहास के नाम से भी जाना जाता है) ने लिखा था। माना जाता है कि बेंजाटाइन सेना से लड़ते हुए वर्ष 1411 में उसकी मृत्यु हो गई थी। वर्तमान में इस पुस्तक को मलयालम भाषा में ट्रांसलेट कर ऑनलाइन सर्कुलेट किया जा रहा है।







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