Rajasthan

Khatu Shyam : मंदिर के शिखर पर लहराते निशान की क्या है कहानी, सूरजगढ़ से है इसका खास रिश्ता

रिपोर्ट- रविन्द्र कुमार
झुंझुनूं. हारे के सहारे बाबा श्याम हमारे. लाखों करोड़ों के अराध्य देव बाबा खाटू श्याम के दरबार में भक्तों की भीड़ है. राजस्थान में जयपुर के नजदीक फाल्गुन माह में लगने वाला खाटू श्याम का लक्खी मेला इन दिनों परवान पर है. देश -विदेश से श्रद्धालु खाटू श्याम के निशान लेकर बाबा को अर्पित कर रहे हैं. आज लोकल 18 आपको बताने जा रहे उस निशान की कहानी जो खाटूधाम के मंदिर के शिखर बंद पर 12 महीने लहरता है. वो निशान जिसका डंका बाबा के खाटूधाम की तरह पूरे विश्व में बजता है. बाबा श्याम के भक्त के बारे में भी बताएंगे जिसने पूरे विश्व में सूरजगढ़ के निशान को ख्याति दिलवाई और अंग्रेजी हुकूमत के भी छक्के छुड़ा दिए.

खाटू श्याम मंदिर के शिखर पर चढ़ने वाला सूरजगढ़ का प्राचीन मंदिर का निशान हजारों पदयात्रियों के साथ खाटू के लिए रवाना होता है. निशान के साथ देश-विदेश के श्रद्धालु भी शामिल होते हैं. खाटू से सूरजगढ़ का खास रिश्ता है. बात चाहें मुगलों के समय की हो या फिर अंग्रेजों के दौर की. जब—जब भी मंदिर पर हमले की बात हो या फिर खाटू में दर्शनों पर में रूकावट की कोशिश की गई हो. सूरजगढ़ के श्याम भक्तों ने सबका मुकाबला किया. ना दर्शन रुकने दिए और ना ही मंदिर को नुकसान पहुंचने दिया.

जब अंग्रेजों के छक्के छूटे
इस बारे में एक भक्त मनोहरलाल इंदौरिया बताते हैं बाबा श्याम के दरबार में आस्था के सैलाब को देखकर अंग्रेजी हुकूमत ने खाटू मंदिर में ताला लगा दिया था. तब एक भक्त मंगलाराम एक निशान लेकर खाटू पहुंचे. उन्होंने अपने गुरु गोर्धनदास का आदेश पाकर बाबा श्याम का नाम लेकर मोर पंख ताले पर मारा तो ताला खुल गया. यह चमत्कार देख अंग्रेजी हुकूमत ने पैर पीछे कर लिए. दरअसल बाबा के दर्शन में रूकावट पैदा करने के लिए अंग्रेज ताला लगाकर पूजा अर्चना बंद करवाना चाह रहे थे. लेकिन सूरजगढ़ के श्याम भक्त मंगलाराम ने ऐसा नहीं होने दिया और बाबा की ​शक्ति से अंग्रेजों के छक्के छुड़वा दिए.

सूरजगढ़ निशान में बाबा का वास
मनोहरलाल इंदोरिया बताते हैं जब मुगलों ने नापाक नजर खाटू श्याम मंदिर पर डाली और खाटू मंदिर को ध्वस्त करने की कोशिश की तो सूरजगढ़ के राजा सूरजमल, नौजवान सैनिक सहित श्याम भक्तों के साथ खाटू पहुंचे. उन्होंने मुगल सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. माना जाता है सूरजगढ़ निशान में खुद बाबा श्याम चलते हैं. मंदिर कमेटी ने सूरजगढ़ के निशान को बाबा के मुख्य शिखर पर चढ़ाने का निर्णय लिया. बस तब से ये परंपरा आज भी निभाई जा रही है. सूरजगढ़ के निशान को खाटू श्याम दरबार में मुख्य शिखर पर चढ़ाया जाता है. यही एकमात्र निशान है जो पूरे वर्ष बाबा के मुख्य शिखर पर लहराता है.

Tags: Jhunjhunu news, Local18

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