Rajasthan

life of millet flour will increase, salinity will not come for 2 months – News18 हिंदी

मनमोहन सेजू/बाड़मेर. एक जमाना हुआ करता था जब धोरों का धान कहा जाने वाला बाजरा महज घर मे खाने के लिए ही उपयोग में लिया जाता था. जल्दी खराब होने के चलते इसके आटे का भी बड़े दिनों तक उपयोग नही किया जा सकता था. लेकिन अब यह सब बीते जमाने की बातें हो जाएगी. प्रदेश में 44 लाख हैक्टेयर में होने वाली बाजरे की खेती में से 10 लाख हैक्टेयर में अकेले बाड़मेर में बाजरे की खेती की जा रही है.

अब ना केवल बाजरे का आटा बहुत दिनों तक खराब होगा वहीं दूसरी तरफ इससे कई नए उत्पादों की राह अब खुलती नजर आएगी. श्रीअनाज में शामिल बाजरा अब बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर, जालौर, चुरू, सीकर,नागौर और श्रीगंगानगर के खेतिहारों के लिए आमदनी के नए अवसर खोल देगा. बाड़मेर में प्रतिवर्ष 40 लाख क्विंटल बाजरे का उत्पादन होता है. अब बाजरे के आटे की लाइफ 2 माह तक की जाएगी जिससे बाजरे के आटे में खारापन नही आएगा.

52 तरह के व्यंजन बनाएंगे लोग

बाड़मेर के गुड़ामालानी में शुरू किए गए राजस्थान के इकलौते बाजरा अनुसंधान केंद्र में बाजरे को कई वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान कर इसे व्यवसायिक गतिविधियों के लिए तैयार किया जाएगा. कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बाजरे के केक, मठरी, बिस्किट, मिठाई, सूप, पापड़, पकौड़े सहित 52 प्रकार के व्यंजनों को बनाने में भी लोगों को पारंगत किया जाएगा.

आटे की सेल्फ लाइफ बढ़ाने पर किया जा रहा काम

कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप पगारिया के मुताबिक प्रदेश में 44 लाख हैक्टेयर में बाजरे की बुआई की जाती है. बाड़मेर जिले में 10 लाख हैक्टेयर में बाजरे की बुआई की जाती है जबकि थार नगरी में 40 लाख क्विंटल बाजरे का उत्पादन होता है जबकि प्रदेश में 75 लाख क्विंटल बाजरे का उत्पादन होता है. बाजरा अनुसंधान केंद्र में कम से कम पानी मे बाजरे की उत्पादन क्षमता को बढाने का काम किया जाएगा. इसके अलावा बाजरे की आटे की सेल्फ लाइफ को बढाने पर काम किया जाएगा.

पगारिया बताते है कि ब्लाचिंग करके बाजरे के आटे की लाइफ दो माह तक की जाएगी जिससे कि आटे में खारापन नही आए. वह बताते है कि बिस्किट, केक, मठरी, मिठाई, सुप को किस तरह बजारीकरण किया जा सके जिससे हर व्यक्ति इसका लाभ ले सकते है.

Tags: Barmer news, Local18, Rajasthan news

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