Life on wheelchair, courage took me to the destination | व्हीलचेयर पर जिंदगी, हौसले ने पहुंचा दिया मंजिल तक

प्रणव ने धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ आइआइटी गुवाहाटी से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की। उनका कहना है, विश्व स्तर की कंपनी में रोजगार पाने का सफर आसान नहीं था। माता-पिता और संस्थान में शिक्षकों के सहयोग से मैं कामयाब रहा। माता-पिता ने मेरी बचपन की चुनौतियों को देखा। उनका विश्वास था कि मैं दूसरे बच्चों की तरह स्कूल में पढ़ाई कर सकता हूं। कई स्कूलों ने मुझे प्रवेश देने से इनकार किया था। वे स्कूल में लिफ्ट न होने जैसे बहाने बनाते थे। नायर ने बताया कि स्टार्टअप कंपनियों में मॉक इंटरव्यू और प्रशिक्षण अनुभवों के साथ-साथ विभिन्न कोडिंग प्लेटफॉम्र्स पर लगातार ऑनलाइन तैयारी ने कॉर्पोरेट अपेक्षाओं के बारे में उन्हें ज्यादा तैयार रहने और जागरूक होने में मदद की।
सामान्य बच्चों जैसा नहीं रहा बचपन सेरेब्रल पाल्सी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। इससे चलने-फिरने पर मांसपेशियों में खिंचाव और निगलने में परेशानी होती है। यह गर्भ में मस्तिष्क के असामान्य विकास के कारण होता है। प्रणव नायर ने कहा, मेरा बचपन सामान्य बच्चों की तरह नहीं था। बीमारी के कारण अन्य बच्चों की तरह पिकनिक जाना, पार्क में खेलना जैसी गतिविधियों में वह हिस्सा नहीं ले पाते थे।
ऑटिज्म पीडि़त बच्चों का तैराकी में रेकॉर्ड चेन्नई. ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर (एएसडी) से पीडि़त बच्चों के एक समूह ने तमिलनाडु के कुड्डालोर से चेन्नई तक समुद्र में 165 किलोमीटर तैराकी कर वल्र्ड रेकॉर्ड बनाया है। ऑटिज्म भी न्यूरोलॉजिकल डिसआर्डर है। इससे पीडि़त बच्चे को बातचीत करने, पढऩे-लिखने और लोगों से मेल-जोल में परेशानी होती हैं। इनके सीखने, आगे बढऩे और ध्यान देने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं।