अनीता की तरह आनंदपाल की भी रखी हुई थी 19 दिन तक लाश, क्या कहता है कानून? अगर परिजनों ने नहीं किया अंतिम संस्कार
जोधपुरः परिवार की जिद्द और पुलिस की मनमानी के बीच ब्यूटी पार्लर संचालक अनिता चौधरी की लाश मॉर्च्यूरी हाउस में रखी हुई है. करीब 20 दिन से अनिता का शव अंतिम संस्कार की राह देख रहा है. लेकिन परिजन अपनी मांग पर अड़े हुए हैं कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती, तब तक वो लाश लेंगे नहीं और अंतिम संस्कार करेंगे नहीं. बता दें कि राजस्थान में इससे पहले भी एक ऐसा मामला सामने आया था, वो था आनंदपाल हत्याकांड. आनंदपाल का शव भी मॉर्च्यूरी हाउस में करीब 19 दिन तक रखा हुआ था. हालांकि मानवाधिकार आयोग ने जब मामले में हस्तक्षेप किया तब 19 दिन बाद साल 2017 के 13 जुलाई को अंतिम संस्कार करवाया गया.
19 दिन तक मॉर्च्यूरी हाउस में रखी थी लाशबता दें कि साल 2017 के 24 जून को आनंदपाल सिंह का चूरू के मालासर में एनकाउंटर किया गया. 25 जून को उसका पोस्टमार्टम किया गया. परिजनों ने शव उठाने से इनकार कर दिया. 30 जून को परिजनों ने रतनगढ़ में दोबारा पोस्टमार्टम करवाया. 1 जुलाई 2017 को शव परिजनों को सौंपा गया. परिजनों ने अंतिम संस्कार नहीं किया और विरोध प्रदर्शन शुरूकर दिया. 12 जुलाई 2017 को मानवाधिकार आयोग ने अंतिम संस्कार का आदेश दिया. 13 जुलाई 2017 को एनकाउंटर के 19 दिन बाद प्रशासन ने अंतिम संस्कार कराया था.
30 अक्टूबर को अनीता की मिली थी लाशबीते 27 अक्टूबर को अनीता चौधरी की गुमशुदगी दर्ज की गई थी. 30 अक्टूबर की रात को अनीता के शव के टुकड़े गंगाणा गांव से बरामद किए गए. तब से शव एम्स हॉस्पिटल की मोर्चरी में रखा हुआ है. 31 अक्टूबर से अनीता चौधरी के परिजन अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं. 2 नवंबर से 16 नवंबर तक पुलिस 11 बार अनीता के परिजनों को पोस्टमार्टम व अनुसंधान में मदद के लिए 11 बार नोटिस दे चुकी है. 13 नवंबर को पुलिस ने परिजनों का सहयोग नहीं मिलने पर खुद ही शव का पोस्टमार्टम करवा दिया था.
मानवाधिकार आयोग ने क्या कहा था?आनंदपाल केस में मानवाधिकार आयोग ने आदेश में कहा था कि राज्य में विभिन्न कारणों से मृत व्यक्तियों के शरीर को रखकर आंदोलन किया जाना लगभग आम बात हो चुकी है. इसी प्रकार स्थिति यहां तक पहुंच चुकी है कि अपराधियों के शव आंदोलन को प्रभावित करने के लिए ही नहीं बल्कि पुलिस, प्रशासन व राज्य सरकार पर भी दबाव डाले जाने के लिए प्रयोग किए जा रहे हैं.
अगर परिजनों ने नहीं लिया शव तो क्या होगा?अगर मृतक के परिजन शव नहीं लेते हैं तो राजस्थान पुलिस नियम 1965 के नियम 6.36 के उपनियम 6 के तहत जैसे ही चिकित्सा अधिकारी इस बात की सूचना दे कि उसने परीक्षण पूरा कर लिया है और यदि पुलिस अधिकारियों को इस संबंध में कोई अन्य आदेश सक्षम अधिकारियों द्वारा ना मिले तो शव को मृतक के रिश्तेदारों या मित्रों को सौंपेंगे. अगर कोई रिश्तेदार या मित्र ना हो या शव लेने से इनकार करे तो पुलिस शव का अंतिम संस्कार कर देगी.
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FIRST PUBLISHED : November 19, 2024, 12:04 IST