लो जी, अब शुद्ध पानी में भी हो गया लफड़ा, RO तो उल्टा छान लेता है मैग्नीशियम, जिसकी कमी से हो रही है डायबिटीज
RO Water Cause Magnesium Deficiency: एक जमाना था जब लोग नदियों और कुओं तक का पानी बड़े चाव से पी लेते हैं. यह पानी बेहद पावरफुल माना जाता था लेकिन समय के साथ औद्योगिकरण हुआ और प्रदूषण के चलते जल, थल और नभ में गंदी सूक्ष्म चीजों की भरमार होने लगी है. ये हानिकारक रसायन हर तरह से पानी को प्रदूषित करने लगा. आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है.इस समस्या से शुद्ध पानी निकालने की तरकीब विकसित हुई. दबाव प्रक्रिया के माध्यम से गंदे पानी में से गंदी चीजों को छान लिया गया और शुद्ध पानी बाहर आने लगा. RO की यह तकनीक पूरी दुनिया में प्रचलित हो गई. इसके बाद कई अन्य तकनीक भी विकसित हुई और विश्व धीरे-धीरे इसी पानी पीने की आदी हो गई है लेकिन ये क्या, अब इस पानी में भी लफड़ा हो गया. वैज्ञानिकों का दावा है कि जिसे हम शुद्ध पनी समझते हैं, वास्तव में इस पानी से मैग्नीशियम सहित कई आवश्यक अच्छी चीजें निकल जाती है जिसके कारण डायबिटीज बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.
मैग्नीशियम निकलने से डायबिटीज
टीओआई की एक खबर में ताउब सेंटर, इजरायल में हुए एक अध्ययन का हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि अवलणीकृत (जिस पानी से लवण या सॉल्ट निकाल लिया गया हो) पानी से मैग्नीशियम निकल जाता है. मैग्नीशियम के अभाव में इंसान को कई तरह की परेशानियां हो रही है. सबसे पहले इससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ गया है. अध्ययन में कहा गया है कि जब पहले पानी को शुद्ध करने के लिए लवण को नहीं निकाला जाता था तब मैग्नीशियम का 10 से 20 प्रतिशत हिस्सा पानी से ही प्राप्त हो जाता था. लेकिन अब इजरायल की 70 प्रतिशत आबादी इसी लवणीकृत जल को पीता है जिसके कारण लोगों में मैग्नीशियम की कमी नहीं हो पाती थी. लेकिन अब इस कारण लोगों को डायबिटीज जैसी बीमारी का खतरा मोल लेना पड़ता है.
कितना मैग्नीशियम पानी में होना चाहिए
2006 की एक स्टडी के मुताबिक 2 लीटर पानी में 80 मिलीग्राम मैग्नीशियम पहले मौजूद होता था जो कि होना चाहिए. इससे किसी व्यक्ति में 25 प्रतिशत मैग्नीशियम का डोज पूरा हो जाएग.बाकी का भोजन से मिल जाएगा. इस प्रकार मैग्नीशियम की कमी नहीं होती है लेकिन पानी में मैग्नीशियम नहीं होने से अब 20 से 25 प्रतिशत तक शरीर में मैग्नीशियम की कमी होने लगी है. एक अन्य अध्ययन के मुताबिक एक लीटर नेचुरल मिनिरल वाटर में अगर 84 मिलीग्राम तक मैग्नीशियम है तो इससे 4 सप्ताह तक ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा शून्य हो सकता है. इसलिए अध्ययन में कहा गया है कि अगर पानी को शुद्ध करने में मैग्नीशियम निकल जाता है तो उसमें उपर से उतना मैग्नीशियम मिला देना चाहिए ताकि इसका असर शरीर में सकारात्मक पड़े.
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FIRST PUBLISHED : October 9, 2024, 18:00 IST