दवा को ठेंगा दिखा हर साल 50 लाख लोगों को मार देते हैं बैक्टीरिया, इस जालिम जीवाणु से क्या है बचने का तरीका, एक्सपर्ट से जानें

Why Bacteria Kills 50 Lakhs People Every Year: हाल ही में लैंसेट की एक स्टडी में दावा किया है कि हर साल एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस बैक्टीरिया यानी एएमआर के कारण दुनिया भर में 50 लाख लोगों की मौत हो जाती है. इस मामले में भारत की स्थिति और भी भयावह है. भारत में एएमआर के कारण सिर्फ 2019 में 10.43 लाख लोगों की मौत हुई थी. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि बैक्टीरिया, फंगस, वायरस, पैरासाइट जैसे सूक्ष्मजीवों को मारने के लिए अक्सर हम गलत दवाइयां ले लेते हैं. ये दवाइयां बीमारी को तो खत्म नहीं करती लेकिन बैक्टीरिया, वायरस आदि को ढीठ बना देती है. ऐसे में ये दवाइयां धीरे-धीरे बेअसर होने लगती है. इस कारण लाखों लोगों की मौत हो जाती है. आखिर ऐसा क्यों होता है कि दवा बेअसर होने लगती और इससे बचने के क्या उपाय हैं. सीके बिड़ला अस्पताल, गुड़गांव में इंटनल मेडिसीन के कंसल्टेंट डॉ. तुषार तायल से इस पूरे मुद्दे पर न्यूज 18 ने बातचीत की.
क्यों दवाइयां हो जाती हैं बेअसरडॉ. तुषार तायल ने बताया कि सबसे पहले हमें यह जानना चाहिए कि जो सामान्य बीमारियां होती हैं, उनमें करीब 90 प्रतिशत बीमारियां वायरस के कारण होती हैं. ये बीमारियां सेल्फ लिमिटिंग हैं यानी अपने आप ठीक होने वाली हैं लेकिन अक्सर हम इन बीमारियों में एंटीबायोटिक ले लेते हैं. इससे बीमारी पर तो कोई असर नहीं होता लेकिन बैक्टीरिया इन दवाओं के खिलाफ धीरे-धीरे ढीठ होने लगते हैं. डॉ. तुषार तायल ने बताया कि जब भी किसी को गले में खराश होता है या दर्द होता है तो घर में रखे एंटीबायोटिक या दुकान से एंटीबायोटिक खरीद कर खा लेते हैं. कुछ डॉक्टर भी बिना सोचे-विचारें एंटीबायोटिक दे देते हैं. यही इस बैक्टीरिया के ढीठ बनने का सबसे बड़ा कारण है.
दवा के खिलाफ कैसे काम करते हैं सूक्ष्मजीवडॉ. तुषार तायल ने बताया कि एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस का मतलब है कि बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और पैरासाइट दवाओं के खिलाफ खुद में मजबूत तंत्र बना लेते हैं. यानी इन सूक्ष्मजीवों पर एंटीबायोटिक, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटी-पारासिटिक्स दवा काम नहीं करती. ये बैक्टीरिया या वायरस इन दवाओं के खिलाफ जेनेटिक लेवल पर सुरक्षा तंत्र बनाते हैं. कुछ बैक्टीरिया के सेल मैंब्रेन यानी एक तरह से बैक्टीरिया का बाहरी आवरण कुदरती रूप से इतना सख्त होता है कि दवा बैक्टीरिया के शरीर के अंदर घुसती ही नहीं है जबकि कुछ बैक्टीरिया दवा के खिलाफ शरीर में एंजाइम बनाने लगते हैं. इस एंजाइम के कारण बैक्टीरिया की सरफेस पर दवा चिपक ही नहीं पाती है. इससे दवा बैक्टीरिया के अंदर घुस नहीं पाती. अंत में दवा का असर ही नहीं होता. कुछ बैक्टीरिया अपने शरीर को संरचना को इस तरह से बदल लेते हैं कि दवा का कोई असर ही नहीं होता. ये बैक्टीरिया दवा के छूने से पहले हवा की झोंकों की तरह उसे उड़ा (इफलक्स पंप) देते हैं. यह सब जेनेटिक लेवल पर होता है और इसमें या तो जेनेटिक म्यूटेशन होता है अलग-अलग बैक्टीरिया से मिलकर उनसे रेजिस्टेंस वाले बैक्टीरिया का गुण ले लेते हैं.
कैसे समझें कि दवा हो रही है बेअसरडॉ. तुषार तायल ने बताया कि इस सवाल का जवाब थोड़ा कठिन है क्योंकि कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जिनमें वायरल या बैक्टीरियल दोनों तरह के इंफेक्शन का खतरा होता है. जैसे अगर किसी को गले में दर्द हो रहा या खराश हो, इसमें बैक्टीरियल या वायरल दोनों इंफेक्शन का खतरा रहता है. आमतौर पर हमें यह समझना चाहिए कि अधिकांश वायरल बीमारियां अपने-आप ठीक हो जाती है लेकिन यदि किसी को सच में बैक्टीरियल इंफेक्शन है और इसकी दवा लेने के बावजूद तीन-चार दिनों में ठी नहीं हो रहा तो इसका मतलब यह समझना चाहिए कि एंटीबायोटिक बेअसर हो रही है.
कौन सी बीमारी वायरल और कौन सी बैक्टीरियलडॉ. तुषार ने बताया कि कई बार दोनों में समान लक्षण होते हैं लेकिन मोटे तौर पर खांसी जुकाम, गले में दर्द होना, लूज मोशन, उल्टी, जॉन्डिस, डेंगू, मलेरिया, टायफाइड जैसी बीमारियां वायरस इंफेक्शन के कारण हो सकते हैं. इसलिए इन परेशानियों में एजिथ्रोमाइसिन, एमॉक्सीसिलीन, लीवोफ्लोक्सासिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन जैसी एंटीबायोटिक दवाइयां नहीं लेनी चाहिए. आजकल हीट स्ट्रोक के बहुत मामले सामने आ रहे हैं. इसमें भी एंटीबायोटिक की कोई भूमिका नहीं है. वहीं गले का इंफेक्शन, निमोनिया, यूरिन का इंफेक्शन, कान के अंदर बैक्टीरियल इंफेक्शन, कुछ मामलों में पेट का इंफेक्शन बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है. लेकिन इन सबको जानने के लिए सही टेस्ट की जरूरत होती है.
फिर क्या है बचने के उपायडॉ. तुषार तायल ने बताया कि एएमआर से बचने के लिए सबसे बेहतर तरीका यही है कि आप अपने मन से एंटीबायोटिक की दवा ले ही नहीं. जब भी कोई इंफेक्शन हो और ज्यादा परेशानी न हो तो दो-तीन दिनों तक पहले इंतजार करें क्योंकि अधिकांश वायरल इंफेक्शन अपने आप ठीक हो जाता है. अगर एंटीबायोटिक या एंटीवायरल दवाओं की जरूरत पड़ें तो बिना डॉक्टरों की सलाह से न लें. किसी भी तरह की इंफेक्शन से बचने के लिए इम्यूनिटी बढ़ाने वाले फूड का सेवन करें. ताजे फल और हरी पत्तीदार सब्जियों का सेवन इम्यूनिटी बढ़ा सकता है. इसके अलावा सीड्स, ड्राईफ्रूट्स और साबुत अनाज का नियमित सेवन करें. रोजाना एक्सरसाइज और तनाव रहित जीवन भी इम्यूनिटी को बढ़ा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : May 31, 2024, 19:19 IST