Rajasthan

Love Story Part 03 : विरोध के बाद भी महारानी गायत्री की शादी, भाई का क्या था रोल

हाइलाइट्स

गायत्री देवी का असली नाम आयेशा था. उनके बड़े भाई इंद्रजीत भी नहीं चाहते थे कि ये शादी हो
विरोध के बाद दोनों ने तय कर लिया था कि शादी तो करेंगे ही, विवाह गायत्री देवी के 21 साल के होने से पहले हुआ
ये दुनिया की तब सबसे महंगी शादियों में गिनी गई, महारानी महल से पर्दाप्रथा खत्म कर दिया, सियासत में भी कूदीं

महारानी गायत्री देवी को 12 साल की उम्र में जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह से प्यार हो गया. पहले तो महाराजा ने खास ध्यान नहीं दिया. फिर वो भी इस सुंदर किशोरी के प्रति आकर्षित होने लगे. दोनों का प्यार लंदन में ज्यादा परवान चढ़ा. गुपचुप सगाई भी कर ली. गायत्री की मां बिल्कुल नहीं चाहती थीं कि उनकी बेटी जयपुर के महाराजा से शादी करे. विरोध ज्यादा था.

जयपुर और कूचबिहार दोनों जगह परिवारों में इस रिश्ते का विरोध हो रहा था . जितना विरोध हो रहा था, उतनी ही बेताबी गायत्री देवी और महाराजा मानसिंह द्वितीय में बढ़ रही थी कि दोनों को अब जल्दी से जल्दी शादी कर लेनी चाहिए. दोनों को रोमांस करते हुए 06 साल हो चुके थे. अब गायत्री की उम्र भी 16 से ज्यादा हो चुकी थी. वह शादी वाली उम्र में आ चुकी थीं.

दोनों ने जहां ये तय किया कि अब जल्दी शादी कर लेंगे, तब भी शादी ना हो पाए, इसकी कोशिश जारी थी. जसवाई मानसिंह द्वितीय के साथ विदेश में पढ़े थे. वह उनके दोस्त भी थे. वह भी नहीं चाहते थे कि उनकी बहन का रिश्ता दोस्त से हो.

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भाई ने बहन को समझाया कि क्यों ये शादी ना करे
बड़े भाई इस बात से नाखुश था कि उसकी बहन कैसे उसके दोस्त की माशूका बन गई. भाई ने बहन के सामने आखिरी शस्त्र फेंका कि शायद इससे उसका दिमाग बदल जाए. उसने समझाया जय यानि मानसिंह बेशक हैंडसम है लेकिन वह दिलफेंक है और महिलाएं उसकी बड़ी कमजोरी. इसलिए बहना ये मान लो कि वो कभी तुम्हारे प्रति भरोसेमंद नहीं रहेगा. धोखा देगा ही देगा. ये सब समझाने का असर भी आयेशा पर नहीं पड़ा.

शादी के बाद महारानी गायत्री देवी और जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय (फाइल फोटो)

21वें जन्मदिन से कुछ पहले शादी हो ही गई
गायत्री ने अपने 21वें जन्मदिन से मुश्किल से कुछ हफ्ते पहले अपने चार्मिंग प्रिंस से शादी कर ली. ये वर्ष 1940 था. घरवालों को मानना पड़ा. शादी बहुत धूमधाम से हुई. शादी पर दिलखोलकर पैसा खर्च हुआ. उस दौर में ये सबसे महंगी शादियों में गिनी गई. इसमें 3.5 लाख रुपए से ज्यादा खर्च हुए. पूरा समारोह कई दिनों तक चलता रहा, इसमें कई नई परंपराएं जोड़ी गईं. एक से एक महंगे परिधान पहने गए. तमाम मेहमान आए.

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अब गायत्री देवी को पर्दाप्रथा से जूझना था
अब गायत्री शादी के बाद विवाहित महिला और महारानी थीं. शादी के बाद जिस तरह से गायत्री को पर्दे से गुजरना पड़ा. वो उनके और उनके घरवालों दोनों के लिए कष्टदायक था. जयपुर पहुंचने के बाद गायत्री जल्दी ही इस पर्दाप्रथा पर बिफर उठीं. उन्होंने साफ मना कर दिया. किसी की क्या हिम्मत कि इस दमदार युवती से कुछ मनवा सकें.

हालांकि खुद द्वारा दी जाने वाली पार्टियों में वह कुछ शर्माई और सकुचाई नजर आतीं थीं.जयपुर राजघराना पसंद नहीं कर रहा था कि वो बगैर पर्दे के हर मेहमान से मिलें. इसे लेकर पति मानसिंह से भी उनकी ठनी. जयपुर में पूरी तरह से ससुराल में पहुंचने के बाद उन्हें पर्दा को लेकर खासी दिक्कत हुई. पति से मतभेद होने लगे लेकिन सबसे बड़ी बात ये थी कि महाराजा पूरी तरह से उनके प्यार में कैद थे.

शादी समारोह के दौरान महारानी गायत्री देवी और उनके जीवनसाथी बने महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय. ये शादी 1940 के दशक में सबसे महंगी शादियों में थी. (फाइल फोटो)

आधुनिक तरीके से महल में रहने लगीं
उन्होंने पति महाराजा सवाई मान सिंह से साफ-साफ कह दिया था कि वे घूंघट में अपनी पूरी जिंदगी नहीं बिताएंगी. धीरे धीरे पति को तैयार किया कि वह उसी तरह रहेगी, जिस तरह रहती आई हैं, ये हुआ भी. एक साल बाद गायत्री ने वाकई पर्दे से खुद को एकदम दूर कर लिया. उन्होंने परंपराओं का पालन किया लेकिन पर्दाप्रथा को हटाकर. उनके समय में जयपुर के राजमहल में महिलाओं के लिए आधुनिक तौरतरीके को जगह मिलने लगी.

महारानी जल्दी ही दुनिया में सेलिब्रिटी बन गईं
गायत्री की पूरी शख्सियत ऐसी थी कि वह जल्दी ही एक महारानी के तौर पर दुनियाभर में एक सेलिब्रिटी बन गईं. वह समाजसेवा करने लगीं. वह कई संस्थाओं से जुड़ गईं. वह कई मंचों पर मौजूद नजर आने लगीं. शिफॉन साड़ी में जब वह कहीं होतीं तो बला की खूबसूरत लगतीं. वह हर किसी की चहेती बन गईं.

Love Story part 02 : महारानी गायत्री देवी ने लंदन में गुपचुप कर ली सगाई, गुस्साई मां ने कहा – नहीं हो सकती शादी

खुद कार ड्राइव करती थीं
वह चाहे देश हो विदेश महंगी कारों में खुद ड्राइविंग करती नजर आतीं. ये पक्का था कि उन्हें लोगों के बीच नजर आना था. वह वैसा कर रही थीं. उन्होंने खुद के लिए पहली मर्सीडिज बेंच डब्ल्यू126 भारत मंगवाई. वह चैंपियन की तरह पोलो खेलती थीं. पैंट पहनना उन्हें पसंद था. वह स्मोकिंग भी करती नजर आ जाती थीं.

हली मर्सीडिज बेंच डब्ल्यू126 भारत मंगवाई. वह चैंपियन की तरह पोलो खेलती थीं. (फाइल फोटो)

जिम्मेदारियां संभालनी शुरू कीं
इस शादी के कुछ समय बाद महाराजा की पहली पत्नी मरुधर गुजर गईं, तब राजमहल क्रिसमस मना रहा था. तब अगर दूसरी पत्नी ने महाराजा के बाहर होने पर अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी संभाली तो गायत्री देवी ने राजमहल की व्यवस्था को संभाल लिया. जल्दी ही उन्हें एक झटका और लगा कि उनकी बड़ी बहन इला की फूड प्वाइजनिंग से गंभीर होने के बाद मृत्यु हो गई. बड़ी बहन की उम्र महज 30 साल थी.

जिंदगी में तूफान आजादी के बाद आया
गायत्री देवी की जिंदगी में असली तूफान तो 1947 में आया, जब देश आजाद हो रहा था. अभी उनकी उम्र मुश्किल से 28 साल थी. रजवाड़े खत्म हो रहे थे. देश की सभी छोटी – बड़ी रियासतों को अब भारत में विलय पर मुहर लगानी थी, ये अवश्यंभावी था, इससे बचना उनके लिए बहुत मुश्किल था.

राजपरिवार कतई ऐसा नहीं करना चाहते थे लेकिन इसके बगैर गुजारा मुश्किल था. इसका सीधा असर गायत्री और उनके राजपरिवार पर पड़ा. गायत्री डरी हुईं थीं. इसी दौरान उनके पति दूसरी बार विमान हादसे का शिकार हुए. ये एक छोटा प्राइवेट विमान उड़ाने के दौरान हुआ. वह बच गए लेकिन खासे गंभीर थे. पति फिर बच गए.

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मिसकैरिज और फिर गर्भवती होने के बाद बेटे को जन्म
इस बीच गायत्री कई मिसकैरिज से गुजर चुकी थीं. आखिरकार 1949 में वह गर्भवती हो गईं. अक्टूबर 1949 में उन्होंने बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम जगत रखा गया. इसी दौरान भाई इंद्रजीत की दार्जिलिंग स्थित घर में आग से जलकर मरने की खबर आई.

आजादी के बाद देश में तेजी से बदलाव भी शुरू हुए. महारानी को जब सी राजगोपालाचारी ने अपनी पार्टी में शामिल होने का न्योता दिया तो वह ना केवल इसमें शामिल हुईं बल्कि लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में भी पहुंचीं. (फाइल फोटो)

सियासत में भी कूदीं महारानी
भारत की राजनीति आजादी के बाद बदल रही थी. देश बदल रहा था. जब 50 के दशक के आखिर में सी राजगोपालाचारी ने स्वतंत्र प्रजा पार्टी बनाई तो गायत्री ने उसमें शामिल होने का फैसला किया. 1960 के दशक में इस पार्टी के जरिए वह राजनीति में कूद पड़ीं. हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने उन्हें कांग्रेस में आने का न्योता दिया. पति मानसिंह भी स्पेन में भारत के राजदूत थे, इसके बाद भी वह स्वतंत्र पार्टी में गईं.

चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचीं
जब वह स्वतंत्र पार्टी की ओर से विधानसभा का चुनाव लड़ीं तो हार गईं लेकिन 1967 में भारी वोटों से लोकसभा का चुनाव जीतीं. इसके बाद वह 1971 में फिर जीतीं. इसके बाद वह दुनिया की बड़ी हस्तियों के साथ नजर आईं, जिसमें क्वीन एलिजाबेथ, जैकी कैनेडी थीं. हालांकि आने वाला समय उनके लिए खराब होने वाला था.

इमर्जेंसी में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. इंदिरा से उनकी रंजिश भी मशहूर थी. 70 के ही दशक में मुंबई में उनकी मां का निधन हो गया तो पोलो मैच में घोड़े से गिरने के बाद 1970 में निधन हो गया.

आपातकाल में जेल गईं लेकिन ग्रेस हमेशा बना रहा
आपातकाल के दौरान उन्हें दिल्ली के तिहाड़ जेल में रखा गया. उन पर कई किताबें भी लिखी गईं. एक शानदार जिंदगी के बाद 90 वर्ष की आयु में गायत्री देवी का निधन 29 जुलाई 2009 को जयपुर में हुआ. हालांकि आखिरी समय तक उनका ग्रेस बना रहा. वह अब भी देश में सुंदरता की एक प्रतिमान में बदल चुकी हैं. वह भारत की सबसे मॉडर्न, इंडिपेंडेंट और फैशनेबल महारानियों में एक थीं. उनकी मशहूर प्रेम कहानी हमेशा दोहराई जाती रही है.

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