मां जीण भवानी मेला 30 मार्च से 6 अप्रैल तक, जानें विवरण

Last Updated:March 16, 2025, 15:46 IST
Shakti Peeth Maa Jeen Bhavani Mela Sikar Rajasthan: मां जीण भवानी का मेला 30 मार्च से शुरू होगा. इस बार मेला 9 दिन न चलकर 8 ही दिन ही चलेगा. वहीं मेले के बारे में मंदिर के पुजारी महेंद्र परासर ने बताया, कि इस …और पढ़ेंX
जीण माता मंदिर
हाइलाइट्स
मां जीण भवानी का मेला 30 मार्च से शुरू होगामेला इस बार 8 दिन का होगा, 6 अप्रैल को समाप्त होगामाता की विशेष चांदी के वर्क से पोशाक तैयार की जा रही है
सीकर. शक्ति पीठ मां जीण भवानी का मेला 30 मार्च से शुरू होगा. इसको लेकर जिला प्रशासन व मंदिर ट्रस्ट ने तैयारी शुरू कर दी है. इस बार मां जीण भवानी के मेले में पिछली बार से अधिक श्रद्धालु आने का अनुमान है. वहीं मेला भी इस बार 9 दिन का नहीं होकर 8 दिन का ही होगा. मेला 30 मार्च को शुरू होगा और 6 अप्रैल को समाप्त हो जाएगा. इस दौरान मां जीण भवानी को कोलकाता, मुंबई सहित अनेक राज्यों से लाई गई चुनरी ओढ़ाई जाएगी. इसके अलावा विभिन्न रंग के फूलों से माता का गर्भ ग्रह सजाया जाएगा. इस बारे में मंदिर के पुजारी महेंद्र परासर ने बताया, कि इस बार माता की विशेष रूप से चांदी के वर्क से पोशाक तैयार की जा रही है.
जीण माता की कहानी जीण चालीसा में उल्लेख है, कि जीण माता का जन्म चूरू जिला मुख्यालय से करीब 19 किलोमीटर दूर घांघू गांव में राजपूत परिवार में हुआ था. माता के बचपन का नाम जीण था. इनके एक भाई थे, जिनका नाम था हर्ष, दोनों भाई और बहनों में एक दूसरे के प्रति गहरा लगाव था. भाई-बहन के अटूट स्नेह देख हर्ष की पत्नी से जीण की कहासुनी हो गई.
किंवदंती है, कि गांव घांघू में जीण की भाभी यानी हर्ष की पत्नी ने शर्त यह रखी थी, कि कल वे दोनों सरोवर से पानी का मटका लेकर आएंगीं. जिसके सिर से हर्ष सबसे पहले मटका उतारेंगे वे उससे अधिक प्रेम करते हैं. इसके बाद रात को हर्ष की पत्नी ने झूठी कहानी बनाकर उसे पहले मटका उतारने के लिए मना लिया. इस बात का पता जीण को नहीं था, उसे पूरा विश्वास था, कि भाई उससे बहुत स्नेह करता है, इसलिए पहले मटका उसी का उतारेगा. शर्त के अनुसार ननद भाभी सरोवर से पानी भरकर मटका लेकर घर पहुंची, तो हर्ष ने अपनी पत्नी के सिर से मटका पहले उतार दिया.
भाभी से शर्त हारने के बाद जीण अपने भाई से नाराज हो गईं, और घांघू गांव छोड़कर सीकर जिले की तरफ आ गईं. बहन को मनाने उसके पीछे-पीछे भाई हर्ष भी चले आए. सीकर जिले के गांव रलावता के पास जीण ने भाई को पूरी शर्त बताई, तो हर्ष को हकीकत व पत्नी की चालाकी समझ आई. इसके बाद जीण के घर नहीं लौटने पर हर्ष ने भी तय किया, कि वो भी घांघू वापस नहीं जाएंगे. ऐसे में यहां जीण मां दुर्गा और हर्ष नजदीक के पहाड़ की चोटी पर भैरव की उपासना में लीन हो गए. जीण चालीसा में लिखा है, कि तपस्या से प्रसन्न होकर दुर्गा माता ने जीण को देवी होने का वरदान दिया और भगवान शिव ने हर्ष को भैरव होने का वरदान दिया. इसके बाद दोनों धरती में समा गए. उन्होंने जिन अलग-अलग जगह पर तपस्या की थी, वहां पर दोनों के मंदिर बने हुए हैं.
भक्तों की मनोकामना होती है पूरी मान्यता के अनुसार जीण माता मंदिर में माता को चुनरी भेंट करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है. यहां पर सबसे ज्यादा नवविवाहित जोड़े आते हैं. भक्तों की आस्था के अनुसार नवविवाहित जोड़ो द्वारा इस मंदिर में आकर पूजा अर्चना करने से उनका वैवाहिक जीवन हमेशा सुखी रहता है. इसके अलावा बच्चों के लिए भी यहां पर हजारों लोग आते हैं.
Location :
Sikar,Rajasthan
First Published :
March 16, 2025, 15:46 IST
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30 मार्च से शुरू होगा मां जीण भवानी का मेला, जानें क्या है यहां मान्यता
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